सीवान निवासी ऋचा रत्नम ने मंगलवार, चार अगस्त को आए यूपीएससी – 2019 के फाइल परिणाम में 274वां स्थान हासिल किया है. ऋचा ने इंजीनियरिंग बैकग्रांउड के बावजूद हिंदी माध्यम से परीक्षा में सफलता पायी है. परीक्षा में उनका मुख्य विषय इतिहास था. ऋचा को यह सफलता पांचवें प्रयास में हासिल हुआ है, इससे पहले वे मुख्य परीक्षा तक पहुंची थीं.
ऋ़चा सीवान के जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा में इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष डाॅ शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव की बेटी हैं. डाॅ श्रीवास्तव राजेंद्र काॅलेज, छपरा में भी इतिहास विभाग के अध्यक्ष रहे हैं. ऋचा की माता शशिकला श्रीवास्तव गृहिणी हैं. इनका पैतृक गांव सीवान जिले के आंदर प्रखंड के खेड़ाय में है. उनका पूरा परिवार पढाई से जुड़ा रहा है.
ऋचा रत्नम ने आरंभिक शिक्षा सीवान के महावीर सरस्वती विद्या मंदिर से प्राप्त किया था. वहीं से उन्होंने सीबीएसइ बोर्ड से दसवीं व बारहवीं की पढाई पूरी की और फिर जयपुर स्थित विवेकानंद इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी कंप्यूटर साइंस में बीटैक किया.
ऋचा 2014 से सिविल सर्विस की तैयार कर रही थीं. उन्होंने फुल टाइम कोचिंग कहीं से नहीं की. हालांकि दिल्ली के फोरम आइएएस से गाइडेंस व टेक्स्ट स्टडी मैटेरियल लिया. वे कहती हैं कि सीसैट लागू होने से हिंदी माध्यम वालों के लिए परीक्षा थोड़ी टफ हुई है, लेकिन रणनीतिक ढंग से पढाई करने पर यह बहुत मुश्किल नहीं है. वे सिविल सर्विस की परीक्षा देने वालों को यह संदेश देती हैं कि वे सीसैट की भी तैयारी कर लें, उससे डरने की जरूरत नहीं है.
ऋचा रत्नम कहती हैं कि हिंदी में अच्छी अध्ययन सामग्री की कमी है. द हिंदू जैसा अखबार भी नहीं है. उन्होंने बताया कि वे अध्ययन सामग्री अंगे्रजी का ही पढती थीं. वीडियो फार्मेट में वे उन्हें सुनती व देखती थीं. वे इग्नू का लैक्चर आॅनलाइन सुनती थीं. उनका कहना है कि आठ से दस घंटे की नियमित पढाई यूपीएससी की परीक्षा के लिए पर्याप्त है. पढाई में नियमितता जरूरी है. जब आप तैयारी कर रहे हों तो पर्व-त्यौहार व सामाजिक आयोजन में आपको अपना समय बर्बाद करने की जरूरत नहीं है.
ऋचा रत्नम आध्यात्म से भी जुड़ी हैं. वे अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता व ईश्वर को देती हैं.
़ऋचा रत्नम यूपीएससी की तैयारी के दौरान मानसिक तनाव को कम करने के लिए एसएन गोयनका के बताए गए विपस्यना के तरीकों का भी आजमाती थीं. वे यूपीएससी में चयनित होने के बाद प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी के रूप में समाज के निचले तबके लिए बेहतर काम करना चाहती हैं.