भोपाल, 17 अक्टूबर (हि.स.)। देश वासियों ने शरदोत्सव बुधवार की रात्रि में खीर खाकर मना लिया हो, लेकिन वैज्ञानिक रूप से शरद पूर्णिमा गुरुवार की रात मनाई गई। इस दौरान चांद अपनी अधिकतम चकम के साथ चमकता हुआ नजर आया। खासकर खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के लिए यह पल इसलिए भी खास बन गया, क्योंकि चंद्रमा इस दौरान साल की सबसे तेज चमक के साथ आकाश में चमक रहा है। यह रात भर इसी तेज चमक के साथ अपनी चांदनी बिखेरेगा।
नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने शरद पूर्णिमा के चांद की चमक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि चंद्रमा आज गुरुवार की शाम इस साल के लिये पृथ्वी के सबसे नजदीक आकर मात्र तीन लाख 57 हजार 364 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद था। खगोल विज्ञान में सुपरमून कही जाने वाले इस घटना में नजदीकियों के कारण यह माईक्रोमून की तुलना में लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमक के साथ आकाश में अपनी चांदनी बिखेर रहा है। शाम को उदित होता चंद्रमा विशाल लाल गोले के रूप में था, तो कुछ देर बाद यह चांदी की तरह चमकने लगा। इसकी चमक माईनस 12. 76 मैग्नीटयूड है।
क्या होता है सुपरमून
विज्ञान प्रसारक सारिका ने बताया कि पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करता चंद्रमा गोलाकार पथ में नहीं घूमता, बल्कि अंडाकार पथ में चक्कर लगाता है। इस कारण उसकी पृथ्वी से दूरी बढ़कर कभी 406,700 किमी हो जाती है तो कभी यह 356,500 किमी तक पास भी आ जाता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के पास आया हो और उस समय पूर्णिमा आती है तो चंद्रमा लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकदार दिखाई देता है। इसे ही सुपरमून कहा जाता है। आज हमें शरद पूर्णिमा पर साल का सबसे नजदीकी सुपरमून देखने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि अब अगले निकटतम सुपरमून के लिए 05 नवम्बर 2025 का इंतजार करना होगा।