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नगरा में शोभा की वस्तु बनी जलमीनार

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नगरा (अयूब रजा की रिपोर्ट): सरकार की कल्याणकारी ग्रामीण पाईप जलापूर्ति योजना नगरा में लोगों के लिए हाथी का दांत साबित हो रही है. सरकार द्वारा आम लोगों को शुद्ध पेयजल व स्वस्थ रहने के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, जो धरातल पर समुचित तरीके से कार्यान्वित नहीं हो पा रहे है. इस वजह से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है.

सच्चाई यह है कि जलमीनार का सब कुछ सिर्फ प्रचार तक ही सीमित हो चूका है. इसका जीता जागता उदाहरण कादीपुर पंचायत के नगरा बाजार स्थित बना जलमीनार है, जो अधिकारियों के उदासीनता का दंश झेल रहा है.

 सरकार ने 88 लाख रुपये की लागत से नगरा में पीने का पानी के लिए जलमीनार खड़ी कर दी. लगभग 10 वर्ष से ज्यादा बीत गया पर आज तक एक बूंद पानी नल से नहीं टपका. ग्रामीण 600 सौ फुट गहरे शुद्ध जल पीने का आज भी इंतजार कर रहे हैं. विभाग द्वारा पानी सप्लाई के लिए ऑपरेटर को भी बहाल किया है. बावजूद इसके लोगों को पानी की सप्लाई नहीं हो रही है.

प्रखंड स्तरीय नेताओं, समाजसेवी, बुद्धिजीवियों ने भी कई बार जलमीनार को सुचारू कराने के लिए आवाज उठायी. लेकिन किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया. ऐसे में जलमीनार रहते नगरा के ग्रामीणों को शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है.

इस जलमीनार से नगरा, कादीपुर नबीगंज, नगरा बाजार समेत एक किलोमीटर में पानी सप्लाई करने की योजनी थी. लेकिन अबतक ऐसा हो सही सका है. जलमीनार के पानी की आपूर्ति के लिए बिछाये गयी पाइप लाइन भी अब जाम हो चुकी है तो कहीं क्षतिग्रस्त हो गयी है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है. सवाल यह भी कि क्या लाखों, करोड़ों की योजनाओं का शिलान्यास, उदघाट्न महज ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जाता है.

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