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बाढ़ राहत की बाट जोह रहा भोजपुरी के शेक्सपीयर भिखारी ठाकुर का गांव

{कुतुबपुर दियारा से धर्मेन्द्र रस्तोगी के साथ सुरभित दत्त की रिपोर्ट}
बाढ़ की विभीषिका से इन दिनों सारण जिला जूझ रहा है. हर ओर पानी ही पानी नजर आ है. ऐसे में सारण के कई क्षेत्र ऐसे है जहाँ रहने वाले लोगों को राहत की फौरी जरुरत है पर सरकार और प्रशासन को वहां के लोगों की समस्या फिलहाल नज़र नहीं आ रही. 

 

जिले के दक्षिणी छोर पर गंगा और सोन नदियों से चारो और से घिरे भोजपुरी के शेक्सपीयर लोक कवि भिखारी ठाकुर का पैतृक गाँव कुतुबपुर दियारा के लोग इन दिनों बाढ़ की जो भीषण आपदा झेल रहे है उसे सोच कर ही लोगों की रूह काँप उठेगा. बाढ़ प्रभावित इस क्षेत्र का हाल ऐसा है कि लोग यहाँ बीते दस दिनों से चारो ओर से पानी से घिरे लोग घर की छतों पर रहने को मजबूर है. बाढ़ पीड़ितों को हर संभव राहत पहुँचाने का सरकारी दावे की पोल यहाँ आने के बाद खुल जाती है. 

क़ुतुबपुर दियारा यूँ तो छपरा सदर ब्लॉक में पड़ता है किन्तु नदी के बीच में टापू पर होने के कारण शहर से दूर है. यहाँ के तीन पंचायतों कोटवा पट्टी रामपुर, रामपुर बिंद गावा और बडहरा महाजी की लगभग 25 हज़ार की आबादी बाढ़ के पानी में जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही है. बाढ़ के पानी में लोक गायक भिखारी ठाकुर के गाँव कुतुबपुर सहित सुरतपुर, सबलपुर, दयालपुर, चकिया में सैकड़ों घर जलमग्न है. लोग मवेशियों के साथ घरों की छतों पर शरण लिए हुए है. लोगों के लिए भोजन और मवेशियों के चारे का कोई प्रबंध सरकार और प्रशासन के द्वारा नहीं किया गया है.

बाढ़ प्रभावित इस क्षेत्र में पीड़ितों के लिए ना ही किसी राहत शिविर का निर्माण किया गया है और ना ही भोजन आदि के लिए कोई व्यवस्था की गयी है. स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जलमग्न है. पिछले दस दिनों से लोग जैसे-तैसे घरों के छतों पर अपना गुजर बसर कर रहे है. पानी के बढ़ने और सब कुछ ख़त्म होने की आशंका से दिन का चैन और रातों की नींद उड़ गयी है.

कुतुबपुर दियारा के सुरतपुर दलित बस्ती निवासी दूधनाथ मांझी ने बताया कि उन लोगों को सरकार और प्रशासन से कोई सहायता और राहत अब तक नहीं मिली है. ग्रामीण इस बात से भी नाराज़ दिखे कि जन प्रतिनिधियों का भी ध्यान इस क्षेत्र की ओर नहीं है. ग्रामीण इस बात से भी नाराज़ दिखे कि चुनाव के समय वोट की तलाश में नाव पर सवार होकर इन क्षेत्रों का तूफानी दौरा करने वाले नेता इन दिनों कही नहीं दिख रहे है. ना ही सरकार पर राहत कार्य में तेजी लाने का दबाब बना रहे है.

भोजपुरी को विश्व पटल पर पहचान दिलाने वाले लोक कवि भिखारी ठाकुर जीवन भर अपने गाँव के तरक्की और उन्नति के लिए संघर्षरत रहे. इस दौर में कुतुबपुर के विकास के लिए तमाम दावे और वादे किये गए पर बाढ़ के इस मंजर में भी सरकारी सहायता का ना पहुंचना उन तमाम दावों पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है.

बाढ़ की इस त्रासदी में कुतुबपुर के साथ साथ सारण के अन्य क्षेत्र भी प्रभावित है. उन सभी में तत्काल राहत पहुँचाने की जरुरत है.

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