39 माह के बकाये के वेतन-अंतर का शीध्र भुगतान हो: डॉ रणजीत

39 माह के बकाये के वेतन-अंतर का शीध्र भुगतान हो: डॉ रणजीत

Chhapra: बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के विशेष सचिव ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश पत्र जारी किया है कि सातवें वेतन पुनरीक्षण के आलोक में जनवरी 2016 से मार्च 2019 तक का बकाया वेतन-अंतर शिक्षकों को भुगतान करने हेतु जो राशि विश्वविद्यालयों को विमुक्त किया है, उसे वेतन सत्यापन कोषांग, पटना से सत्यापित कराने के उपरांत ही शिक्षकों को भुगतान किया जाए.

जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के स्नातकोत्तर शिक्षक संघ के सचिव डॉ रणजीत कुमार ने शिक्षा विभाग के इस निर्णय को आपत्तिजनक, अनुचित, अविवेकपूर्ण, विलंबकारी तथा जानबूझकर शिक्षकों को परेशान करने वाला अस्वीकार्य कदम बताया है.

प्रो कुमार ने इस संबंध में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को ईमेल से पत्र भेजकर माँग किया है कि उच्च शिक्षा विभाग अपने गलत आदेश को निरस्त कर 39 माह के बकाया वेतन-अंतर का अविलंब भुगतान करने का निर्देश जारी करे.

विदित हो कि विश्वविद्यालय की वैधानिक निकाय ‘वेतन निर्धारण समिति ‘द्वारा सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के आधार पर शिक्षकों का वेतन निर्धारित कर वेतन-अंतर को समाकलित कर सरकार को भेजा गया और मंत्रिमंडल तथा विधानमंडल से पारित होने के उपरांत निर्धारित राशि शिक्षकों को भुगतान करने हेतु विश्वविद्यालय को विमुक्त किया गया. राज्य के तीन विश्वविद्यालयों ने वेतन-अंतर का भुगतान भी कर दिया. जयप्रकाश विश्वविद्यालय में भी 11 माह का एरियर शिक्षकों को मिल चुका है तथा मार्च 2020 से पुनरीक्षित वेतन भी दिया जा रहा है. सरकार के दिशा निर्देश के आधार पर ही विश्वविद्यालय की वेतन निर्धारण समिति ने वेतन का निर्धारण किया है. ऐसे में वेतन सत्यापन कोषांग से वेतन सत्यापित कराने के उपरांत एरियर भुगतान करने का निर्देश औचित्यहीन एवम शिक्षक विरोधी कार्य है.

उन्होंने कहा कि पटना उच्च न्यायालय ने अपने कई निर्णय में स्पष्ट आदेश दिया है कि वेतन सत्यापन कोषांग कोई वैधानिक संस्था नहीं है और विश्वविद्यालय की वेतन निर्धारण समिति एक वैधानिक निकाय है जिसका निर्णय ही अंतिम होगा. फिर वेतन सत्यापन कोषांग की कार्यप्रणाली अत्यंत विलंबकारी, अपारदर्शी एवम भ्रष्टाचार से सराबोर है. गौरतलब है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी शिक्षकों से इस संबंध में एक अंडरटेकिंग भी लिया है और अधिक भुगतान होने पर राशि के समायोजन का अधिकार हमेशा से विश्वविद्यालय के पास सुरक्षित है. इसलिए शिक्षा विभाग 39 माह का बकाया वेतन-अंतर के भुगतान का आदेश अविलंब निर्गत करे ताकि उहापोह की स्थिति का अंत हो.

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