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मांझी सहित पूरे देश में मनायी गयी पशुराम जयंती

मांझी: प्रखंड के जई छपरा गांव में पशुराम जयंती के अवसर पर ब्राह्मण एकता मंच चैरिटी ट्रस्ट के प्रवक्ता सच्चितानंद पाण्डेय ने कहा कि पशुराम जी का क्रोध अन्याय के विरुद्ध था. पौराणिक मान्यता के अनुसार धरती पर अत्याचार को खत्म करने के लिए तथा सुख शांति और धर्म की स्थापना के लिए ईश्वर स्वरूप पशुराम जी अवतरित हुए थे. उन्हें हरि विष्णु का छठा अवतार माना जाता है. इनका जन्म सतयुग और त्रेता के संधिकाल में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माता रेणुका तथा पिता जमदग्नि ऋषि के आश्रम में हुआ. विशिष्ट गुणों के कारण भगवान परशुराम का वर्णन सतयुग के समापन से कलियुग के प्रारंभ तक पौराणिक वृतांतों में मिलता है. उनकी तेजस्विता और ओजस्विता के सामने कोई भी नहीं टिकता, न शास्त्रार्थ में और न ही अस्त्र-शस्त्र में. अभिमंत्रित दिव्य धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने का सामर्थ्य केवल पशुराम जी के पास था

उनका परशु अपरिमित शक्ति का प्रतिक था जो उनको शंकर ने दिया था. जहां राम मर्यादा वह लोकनिष्ठ प्रतिक माने जाते वहीं पशुराम जी को अनीति विमोचक शस्धारी कहा गया है. वे शस्धारी और ज्ञान के दिव्य पुंज थे.

ब्राह्मण एकता मंच चैरिटी ट्रस्ट सारण जिले के अध्यक्ष आनंद पाण्डेय ने कहा कि पशुराम जी समयानुकूल आंचल का जो आदर्श स्थापित किया वह युगों युगों तक मानव मात्र को प्रेरणा देता रहेगा. सुनील पांडेय, नरेश पाण्डेय, लाल बाबा बलि पाठक, बलिराम पाण्डेय सहित सैकड़ों लोगों ने दिवस पर पशुराम जी को नमन कीये.

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