Chhapra/Jalalpur: पूर्वी धुनों के प्रणेता, क्रांतिकारी स्वo पंo महेंद्र मिश्र को उनकी 75वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया. जलालपुर में उनकी प्रतिमा पर स्थानीय लोगों ने माल्यार्पण किया. साथ ही उनकी याद में संगीत का कार्यक्रम आयोजित हुआ.
महेंद्र मिश्र का जन्म सारण के जलालपुर प्रखंड के मिश्रवलिया में 1886 में हुआ था. महेंद्र मिश्र ब्रिटिश हुकूमत की अर्थव्यवस्था को धराशायी करने और उसकी अर्थनीति का विरोध करने के उद्देश्य से नोट छापते थे. जब इस बात की भनक अंग्रेज सरकार को लगी तो उन्होंने उनके पीछे सीआईडी जटाधारी प्रसाद और सुरेन्द्र लाल घोष के नेतृत्व में अपना जासूसी तंत्र सक्रिय कर दिया.
सुरेन्द्रलाल घोष तीन साल तक महेंद्र मिश्र के यहाँ गोपीचंद नामक नौकर बनकर रहे और उनके खिलाफ तमाम जानकारियाँ इकट्ठा की. तीन साल बाद 16 अप्रैल 1924 को गोपीचंद के इशारे पर अंग्रेज सिपाहियों ने महेंद्र मिश्र को उनके भाइयों के साथ पकड़ लिया.
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