Lockdown: वृद्ध, बच्चों और गर्भवती महिलाओं की बढ़ी स्वास्थ्य चिंता

Lockdown: वृद्ध, बच्चों और गर्भवती महिलाओं की बढ़ी स्वास्थ्य चिंता

Chhapra: Corona Virus संक्रमण को लेकर जिले में Lockdown जारी है. Lockdown की इस अवधि में शहर से लेकर गांव तक पूर्ण बंदी है. लोग अपने घरों में हैं और विशेष आवश्यकता वाले जरूरत के सामानों को खरीदारी को लेकर ही सड़क पर आ रहे हैं.

इस दौरान आम जनता के समक्ष सबसे बड़ी समस्या उनके स्वास्थ्य को लेकर है. घरों में बीमार लोगों का इलाज सिर्फ झोलाछाप चिकित्सकों की बदौलत ही चल रहा है. शहर में सभी चिकित्सकों के निजी क्लीनिक बंद है. हालांकि सरकार के निर्देश पर ओपीडी सेवा कार्यरत है. सरकार ने पत्र भी जारी कर निजी क्लीनिक सेवा प्रारंभ करने का आह्वान किया है. दिशा निर्देश के अनुसार क्लीनिक पर मरीज़ो के स्वास्थ्य परीक्षण और परामर्श देने का निर्देश दिया गया है. लेकिन इसके बावजूद निजी क्लीनिक, परामर्श केंद्र बंद है. इसे भी पढ़ें : Whats App ग्रुप में फर्जी मेसेज वायरल करने वालों पर प्राथमिकी दर्ज

घर में अगर किसी की तबीयत ख़राब हो जा रही है तो वह अपने आसपास रहने वाले चिकित्सकों को ही खोज रहे हैं. किसी तरह वह अपने बीमार परिजन का इलाज करा कर स्वस्थ होने का प्रयास कर रहे हैं. यही स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों की भी है. ग्रामीण क्षेत्र में निजी क्लीनिक पूरी तरह से बंद है. कई अच्छे चिकित्सकों का मोबाइल नंबर भी बंद है जिससे कि उनसे परामर्श नहीं मिल पा रहा है.

सबसे बड़ी समस्या गर्भवती महिलाओं के समक्ष हैं इन महिलाओं के परिजन स्वास्थ्य परीक्षण को लेकर चिंतित हैं. हालांकि सदर अस्पताल में इनका इलाज संभव है. लेकिन सदर अस्पताल में अधिकांश लोग जाने से डर रहे हैं. कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर चल रही तरह तरह की बातों से लोग काफी सतर्क है. एक अनुमान के अनुसार सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या में भी 50% से अधिक कमी आई है. छोटी-मोटी तकलीफ एवं बीमारियों को लेकर आने वाले मरीज अस्पताल से पूरी तरह नदारद है. विशेष परिस्थितियों में ही में इक्का-दुक्का लोग अस्पताल में आ रहे हैं. जिनमें गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं जो प्रसव के लिए आ रही है. कुल मिलाकर Lockdown में प्राइवेट स्वास्थ्य सेवा बंद होने से आम जनता पूरी तरह से झोलाछाप चिकित्सकों पर ही निर्भर है.

कई लोगों ने भी सोशल मीडिया के जरिए शहर के चिन्हित एवं अच्छे चिकित्सकों से अपने निजी संस्थानों को खोलने की मांग की है. जहां विशेष रूप से नवजात शिशु, वृद्ध एवं महिला रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों को आम जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए निजी क्लीनिक चलाने का आह्वान किया जा रहा है. लेकिन निजी क्लिनिक पर सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेनेंस का पालन ना होने और मरीजों की भीड़ को देखते हुए चिकित्सक भी क्लिनिक खोलने का प्रयास नही कर रहे है.

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