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बाढ़ ने हर बार सारण को किया प्रभावित, लेकिन सचेत नही हुई सरकार

Chhapra: सारण जिला से होकर कई नदियां बहती है. अक्सर जब भी नेपाल के गंडक बराज से पानी छोड़ा जाता है या फिर बाढ़ के सीजन में कई क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित होते हैं. लगभग प्रत्येक वर्ष कोई न कोई क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित होता है और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. 2020 में भी सारण के कई इलाके बाढ़ की चपेट में है. नदियों का जलस्तर दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है. गंडक नदी के जलस्तर में हो रही बढ़ोतरी से सारण जिले के तरैया प्रखंड के 28 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं.

आइए जानते हैं सारण जिले में कब कब आई बाढ़ और लोग हुए प्रभावित

1985 में की बाढ़ आज भी लोगों के जेहन में याद है. मन जाता है कि इस वर्ष जैसा बाढ़ सारण जिले में अब तक देखने को नही मिला है. सरयू नदी पूरे उफान पर थी. जो इलाका कभी प्रभावित नही हुआ था वो भी इलाका बाढ़ की चपेट में आ गया था.

2001: इस वर्ष जब बाढ़ आई थी तो करीब 157 पंचायत और 500 से अधिक गांव प्रभावित हुए थे. जिसमें लाखों की आबादी भी प्रभावित हुई थी.

2002: सारण के पानापुर में तटबंध टूट जाने से लगभग 300 गांव प्रभावित हुए थे और 5 लाख से ऊपर की आबादी को बाढ़ का सामना करना पड़ा था.

2003: गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि हुई थी. लगभग 400 गांव प्रभावित हुए थे और छह लाख के लगभग आबादी प्रभावित हुई थी.

2008: अधिक वर्षा के कारण नदियों के जलस्तर में काफी वृद्धि हुई थी और लगभग लाखों की आबादी प्रभावित हुई थी.

2011: सोन, गंगा व सरयू नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बहा था. कई इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया था. जिससे लाखों की आबादी प्रभावित हुई थी.

2013: इस वर्ष भी लोगों को बाढ़ का डंस झेलना पड़ा था. सभी नदियां उफान पर थी लगभग चार लाख की आबादी प्रभावित हुई थी.

2016 इस वर्ष बाढ़ प्रलयकारी रूप में देखने को मिला था. सारण के 20 प्रखंडों में लगभग 8 प्रखंड बाढ़ की चपेट में आ गए थे. सारी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी. हालांकि शहर में भी इसका असर काफी देखने को मिला था.

2017: गंडक, सोन और गंगा के जलस्तर में वृद्धि हुई थी. जिसमें लगभग आधा दर्जन प्रखंड प्रभावित हुए थे. वहीं लाखों की आबादी प्रभावित हुई थी.

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