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इशुआपुर के पुरसौली छठ घाट पर व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया

इशुआपुर के पुरसौली छठ घाट पर व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया

Isuapur: कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए, उगही हे सूरज देव अरग के बेरा, मोर घाटे दुबिया उपज गइले… जैसे पारंपरिक गीतों के साथ रविवार को शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न नदी व तालाब घाटों पर आस्था की अंजुरी से व्रतियों ने छठी माता व सूर्य देव को अर्घ्य दान किया।

चैत छठ के पावन अवसर पर अस्ताचलगामी सूर्य को महिला पुरुष व्रतियों ने पूरी आस्था के साथ अर्घ्य दिया व सुखी व शांतिमय जीवन की कामना की। घाटों पर अर्द्धदान के लिए व्रती व परिजन जुटे। सभी ने छठी मैया से जीवन की मंगल कामना की और आशीर्वाद मांगा। नदी घाटों पर ही नहीं बल्कि पोखड़े और घरों में बने अस्थाई तालाबों में व्रतियों ने अर्द्ध अर्पण किया। अमूमन हर जगह छठ की अनुपम व मनोहारी छटा दिखी।

चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन इस पर्व में डूबते सूर्य को देख अर्घ्य देने के लिए व्रतियों और उनके परिजनों का ताता दोपहर बाद ही घाटों पर लगने लगा। शाम 4:30 बजे तक सभी घाट वर्तीयों और उनके परिजनों से भर गया। बच्चे उत्साहित थे और बड़े बुजुर्ग पर्व की आस्था में नहाए दिख रहे थे।

इशुआपुर के पुरसौली छठ घाट पर भी वर्तीयों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर सुखी और शांतिमय जीवन की कामना की।

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