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सारण में फैलेगा पटवन का जाल, सांसद रुडी ने की हर खेत हो सिंचिंत योजना की समीक्षा

Chhapra: देश की सर्वाधिक घनी जनसंख्या वाले लोकसभा क्षेत्रों में सारण शुमार है. स्थानीय सांसद राजीव  प्रताप रुडी की विशेष पहल पर योजनाओं को विभागीय अधिकारियों और संवेदकों की मनमर्जी पर न छोड़कर जनता को शीघ्र योजनागत लाभ दिलाने के उदेश्य से सांसद द्वारा बैठक और विमर्श का दौर जारी है.

जल संसाधन विभाग के अंतर्गत एक ऐसी योजना सारण में रुडी ने शुरू करवाया है जो देश में इकलौता है. इस योजना के तहत सांसद के शब्दों में एक-एक बूंद जल का उपयोग किया जायेगा. इसी तरह बरसात और बाढ़ की अवधि सहित सालोंभर निर्बाध विद्युत आपूर्ति बनाये रखने के लिए भी विद्युत विभाग और अन्य तकनीकी अधिकारियों के साथ लम्बी बैठक में कार्यों को शीघ्र पूरा करने पर मंथन हुआ.

जनता के लिए बनी योजना का जनता को निर्धारित अवधि में ही लाभ मिलना सुनिश्चित करने के लिए सांसद रुडी हमेशा से प्रयासरत रहे हैं. यही कारण है कि कई कंेद्रीय और राज्य सरकार की योजनाओं को सबसे पहले सारण में लागू किया गया. इसकी कई बानगी दी जा सकती है.
इधर हुई बैठकों के संबंध में सांसद ने बातचीत के दौरान बताया कि बिहार को नेपाल की नदियों से 8500 क्यूसेक पानी प्राप्त होता है जिसका पूरा का पूरा उपयोग आधारभूत संरचनाओं के अभाव में बिहार नहीं कर पा रहा है. अब पानी के एक-एक बूंद का सदुपयोग किया जायेगा. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा बनाई गई योजना को सारण में शीघ्र लागू करने के लिए मैंने जल संसाधन व ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव संजीव हंस, वेप्कॉस के संजय शर्मा, जल संसाधन विभाग के सारण प्रमंडलीय तीनों जिलों के मुख्य अभियंताओं व अन्य वरीय विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर योजना को शीघ्र मूर्त्तरूप देने की पहल की गई. सर्वे का काम 20 दिनों में पूरा किया जायेगा.

सांसद रुडी ने आगे बताया कि सारण में मही, डबरा, नून और तेल जैसी कई स्थानीय नदियाँ विविध कारणों से अस्तित्वहीन हो गई हैं. अब फिर से इन्हें सदानीरा नदी के रूप में विकसित किया जाना है; ताकि किसानों को सालोभर सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होता रहे. सूखी नदियों और अन्य जलाशयों का एरियल सर्वे हो रहा है. इससे पुख्ता जानकारी उपलब्ध कर तदनुसार कार्य किये जायेंगे.

इसी तरह पुराने नहरों की गहराई बढ़ाना, जहाँ जरूरत हो वहाँ चौड़ाई बढ़ाना और उचित स्थान पर नये नहरों के निर्माण किये जायेंगे. इस तरह जल ग्रहण की क्षमता इतनी बढ़ाई जायेगी कि न केवल नेपाल के 8500 क्यूसेक पानी का उपयोग होगा; बल्कि सामान्य से अधिक वर्षा होने पर भी जलजमाव या बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न न हो. योजना में ऐसी व्यवस्था की गई है कि नहरों के उद्गम स्थल से उसके मुहाने तक सालोंभर जल की एक निश्चित मात्रा उपलब्ध रहे. निश्चित ही यह योजना सरजमीं पर उतरेगी तो सारण प्रमंडल के किसानों की भूमि सालोंभर सिंचित होती रहेंगी.

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