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घर की पूरी साड़ी लगा किसान बचा रहा अपनी फसल

संतोष कुमार बंटी

गौरा: भले ही पूरे देश मे आज सिर्फ किसान और उसके हित की बात हो रही हो लेकिन असलियत में आज भी किसान हासिये पर हैं. ना ही उसकी परेशानियां खत्म होती है और ना ही उन परेशानियों से लड़ने का उनका जज़्बा. अपनी मातृभूमि से फ़सल उगाने ओर अपने परिवार के भरण पोषण के लिए वह रोज नई-नई परेशानियों से दो चार होता है और खुद ही अपने घरेलू तरकीबों को अपनाकर उनसे निपटता भी है.

शहर से 25 किलोंमीटर दूर गौरा गांव स्थित हैं. गांव में आबादी कम खुला क्षेत्र ज्यादा है. जहां रात को कौन कहें दिन में ही नीलगाय, घोरपडास और अन्य जंगली जानवर फसलों को बर्बाद कर देते हैं. जानवरों से बचने के लिए किसान या तो खुद खेत मे बैठकर फसलों की रखवाली करें या फिर हजारों रुपये लगाकर कटीले तारों से उनकी घेराबंदी.

गरीबी की मार झेल रहा किसान दिन में तो अपनी फसल को बचा लेता है लेकिन रात उन फसलों के लिए आफ़त बनकर आती हैं. खेत मे फ़सल लगने से पहले ही जंगली जानवरों के पैरों से बर्बाद हो जाते हैं.

फसलों को बर्बाद होने से बचाने के लिए किसान ने अपनी घरेलू तरकीब लगाई है. उसने अपने घर के महिलाओं की साड़ी को जोड़ जोड़कर चाहरदीवारी बना दी है, जिससे उनके फसलों की सुरक्षा जंगली जानवरों से हो रही हैं. हालांकि जानवरों से बचाव की यह मुकम्मल व्यवस्था नही है, बावजूद इसके यह लाख गुना कारगर दिख रहा हैं.

किसान बलदेव राय बताते है कि फसल को जानवरों से बचाने की लिये रखवाली करनी पड़ती है लेकिन यह चाहरदीवारी रात में जानवरों को धुंधली दीवार लगती है. रंगीन होने के कारण रात में जानवर इसके करीब भी नही आते है जिससे फसलों की सुरक्षा हो जाती हैं. लेकिन कभी कभार तेज हवाओं के कारण साड़ियां नीचे गिर जाती है जिसे अगले दिन फिर से लगाना पड़ता हैं

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