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बदबू से मुहल्ले में सांस लेना मुश्किल, महामारी फैलने का खतरा

Chhapra: किसी के भी स्वस्थ व निरोग रहने की पहली शर्त है सफाई, स्वच्छता. मतलब अगर आप साफ़ सुथरे हैं, नित्य अपनी सफाई पर ध्यान देते हैं, गंदगी से दूरी बनाए हुए हैं, तो निश्चित रुप से आप स्वस्थ होंगे. बीमारी आपसे कोसों दूर रहेगी. किसी महापुरुष ने कहा भी है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है. इसलिए हमारे जीवन में सफाई का बड़ा महत्व हो जाता है.

यह इसकी महत्ता ही है कि प्रधानमंत्री शिवालय से पहले शौचालय की बात को बिना हिचक सबके समक्ष रखने का जोखिम उठाने का साहस करते हैं. देश की सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता अभियान की शुरुआत कर स्वच्छ भारत का सुनहरा सपना देखा है और देश को गंदगी मुक्त भारत बनाने का संकल्प लिया है. ऐसे में भारतीय होने के नाते प्रत्येक नागरिक का यह परम कर्तव्य हो जाता है कि वह सरकार के महत्व की मुहिम का भागीदार बनें तथा भारत को एक स्वच्छ राष्ट्र बनाने की राह में अपना योगदान दें.

स्वच्छता अभियान को कानूनी रूप देने के बाद विभिन्न शहरों गांव और कस्बों की सूरत बदलने की जिम्मेवारी शासन व प्रशासन पर आ गई है. इस कारण उनकी जवाबदेही भी बढ़ गई है. प्रमंडलीय मुख्यालय व नगर निगम का दर्जा प्राप्त कर चुके छपरा शहर की बात करें तो यह की सफाई व्यवस्था में कोई आमूलचूल परिवर्तन नहीं परिलक्षित हो रहा है स्थिति भयावह है और दिनों दिन समस्या बद से बदतर होती हुई है.

ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर इस शहर को गंदगी से निजात कैसे मिले. वह कौन से उपाय हैं जिन्हें अपना शहर को एक बेहतर शहर बनाया जाए? इसके लिए सर्वप्रथम तो प्रशासन के साथ-साथ लोगों को भी जागरुक होने की आवश्यकता है. शहर के हर एक निवासी को चाहिए कि वह अपने कर्तव्य लोगों को बचाने उन्हें चिन्हित कर उस पर अमल करने का प्रयास करें. शहर को स्वच्छ रखने के लिए प्रशासन से ज्यादा उनके मजबूत इच्छा शक्ति की जरूरत है.

वैसे देखा जाए तो शहर का कोई ऐसा कोना नहीं है जहाँ गंदगी ने अपने पांव नहीं पसंद रखा है पर एक मोहल्ले की चर्चा करना यहां समीचीन होगा जहां नरक की स्थिति विद्यमान है. यहां के लोग अभिशप्त जीवन जीने को विवश है. वह मुहल्ला है वार्ड 36 का दलदली बाजार अनुसूचित वर्ग के बस्ती की स्थिति नारकीय बनी हुई है. यहाँ एक शौचालय अवस्थित है जो बीमारियों का घर बना हुआ है विश्वास वार्ड द्वारा संचालित शौचालय में सेफ्टी टैंक और सभी पाइप टूट चुके हैं. जिससे सारा मल खुले जमीन पर पसरा पड़ा है. प्रतिदिन जन उपयोग में लाए जा रहे शौचालय के रखरखाव के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. फैले मल की वजह से स्थानीय लोगों का जीना कष्टकर हो गया है महामारी फैलने का खतरा सर पर मंडरा रहा है. इस जीर्ण शीर्ण हो चुके शौचालय की सुधि लेने वाला कोई नहीं है. अनुसूचित वर्ग के इस समस्या पर शासन-प्रशासन भी बेपरवाह अपनी आंखें मूंद आराम से बैठा हुआ है.

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