Chhapra: भिखारी ठाकुर रंगमंच शताब्दी समारोह के अंतिम दिन कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया.
वीर कुंवर सिंह गाथा गान के माध्यम से माध्यम से सारण जिले की उभरती लोक गायिका अनुभूति शांडिल्य तीस्ता ने बाबू साहब के गौरव की बखान की. जेकरा अस्सी बरिस में आईल जवनिया, कहनिया बाबू कुँवर के सुनीं गीत के माध्यम से उनकी वीरता के किस्से को सभी तक पहुंचाने के इस अंदाज को दर्शकों ने खूब सराहा. तीस्ता ने अपनी प्रस्तुति से खूब तालियां बटोरी. जाने माने लोकगायक व उनके पिता उदय नारायण सिंह ने गायन में उनका साथ दिया. प्रस्तुति के बाद अनुभूति को सम्मानित किया गया.
इस अवसर पर उप सचिव सुमन कुमार, डॉ लालबाबू यादव, जैनेन्द्र दोस्त आदि उपस्थित थे.
कार्यक्रम में इसके बाद चांद किशोर सिंह के द्वारा राजा मौर्यध्वज़ गाथा गायन, भोजपुरी लोक व पारंपरिक गीतों की प्रस्तुति लोकगायक मनन गिरी (व्यास) ने दी. वही भिखारी ठाकुर के लोक गायन प्रेम सागर सिंह ने प्रस्तुत की. अंतिम कार्यक्रम के रूप में भिखारी ठाकुर के बिदेशिया का मंचन हुआ. जिसके बाद फिर मिलने के वादे के साथ पांच दिवसीय कार्यक्रम का समापन हुआ.
बहुरूपिया दल का हुआ सम्मान
रंगमंच शताब्दी समारोह में राजस्थान से पहुंचे बहुरूपिया कलाकारों को सम्मानित किया गया. इस अवसर पर भी अपने भेष बदल मुनीम बने शमसाद बहुरूपिया ने कहा कि छपरा और खासकर भिखारी ठाकुर की भूमि पर पहुंच कर उन्हें बहुत ही अच्छा लगा. लोक कलाकार भिखारी को नमन करते हुए कहा कि मौका मिला तो फिर छपरा जरूर आएंगे.