Site icon | छपरा टुडे डॉट कॉम | #ChhapraToday.com

जम्मू कश्मीर नही, चर्चा POK, गिलगित और बाल्टिस्तान पर होनी चाहिये: रामदयाल शर्मा

वास्तव में अगर जम्मू कश्मीर के बारे में बातचीत करने की जरूरत है तो वह है POK और अक्साई चीन के बारे में. इसके ऊपर देश में चर्चा होनी चाहिए गिलगित जो अभी POK में है. विश्व में एकमात्र ऐसा स्थान है जो कि 5 देशों से जुड़ा हुआ है- अफगानिस्तान, तजाकिस्तान (जो कभी रूस का हिस्सा था), पाकिस्तान, भारत और तिब्बत-चाइना.

“वास्तव में जम्मू कश्मीर का महत्व जम्मू के कारण नहीं, कश्मीर के कारण नहीं, लद्दाख के कारण बल्कि इसकी महत्ता है तो वह है गिलगित-बाल्टिस्तान के कारण.”

भारत के इतिहास में भारत पर जितने भी आक्रमण हुए यूनानियों से लेकर आज तक (शक, हूण, कुषाण, मुग़ल) वह सारे गिलगित से हुए. हमारे पूर्वज जम्मू-कश्मीर के महत्व को समझते थे. उनको पता था कि अगर भारत को सुरक्षित रखना है तो दुश्मन को हिंदूकुश अर्थात गिलगित-बाल्टिस्तान उस पार ही रखना होगा. किसी समय इस गिलगित में अमेरिका, ब्रिटेन रूस बैठना चाहता था, यहाँ तक की पाकिस्तान तो 1965 में रूस को इसे दे देने के लिये वादा तक कर लिया था. अब चीन वहाँ बैठने के लिये पैर पसार चूका है. पाकिस्तान तो प्रयासरत है ही.

“दुर्भाग्य से इस गिलगित के महत्व को सारी दुनिया समझती है केवल एक उसको छोड़कर, जिसका वास्तव में गिलगित-बाल्टिस्तान है और वह है भारत.” क्योंकि हमको इस बात की कल्पना तक नहीं है कि भारत को अगर सुरक्षित रहना है तो हमें गिलगित-बाल्टिस्तान किसी भी हालत में चाहिए.

आज हम आर्थिक शक्ति बनने की सोच रहे हैं. क्या आपको पता है गिलगित से सड़क मार्ग से आप विश्व के अधिकांश कोनों में जा सकते हैं. गिलगित से सड़क मार्ग से 5000 किलोमीटर दूर दुबई है, 1400 किलोमीटर दिल्ली है, 2800 किलोमीटर मुंबई है, 3500 किलोमीटर रूस है, चेन्नई 3800 किलोमीटर है, लंदन 8000 किलोमीटर दूर.

जब हम सोने की चिड़िया थे हमारा सारे देशों से व्यापार चलता था 85 प्रतिशत जनसंख्या इन मार्गों से जुड़ी हुई थी. Central Asia, यूरेशिया, यूरोप, अफ्रीका सब जगह हम By Road जा सकते है. अगर गिलगित-बाल्टिस्तान हमारे पास हो. आज हम पाकिस्तान के सामने IPI (Iran-Pakistan-India) गैस लाइन बिछाने के लिए गिड़गिड़ाते हैं. ये तापी की परियोजना है जो कभी पूरी नहीं होगी अगर हमारे पास गिलगित होता तो गिलगित के आगे तज़ाकिस्तान था हमें किसी के सामने हाथ नहीं फ़ैलाने पड़ते.

हिमालय की 10 बड़ी चोटियों है जो कि विश्व की 10 बड़ी चोटियों में से है और ये सारी हमारी है और इन 10 में से 8 गिलगित-बाल्टिस्तान में है. तिब्बत पर चीन का कब्जा होने के बाद जितने भी पानी के वैकल्पिक स्त्रोत हैं वह सारे गिलगित-बाल्टिस्तान में है.

आप हैरान हो जाएंगे वहां बड़ी-बड़ी 50-100 यूरेनियम और सोने की खदाने हैं. आप POK के मिनरल डिपार्टमेंट की रिपोर्ट को पढ़िए आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे. वास्तव में गिलगित-बाल्टिस्तान का महत्व हमको मालूम नहीं है और सबसे बड़ी बात गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग Strong Anti PAK है.

दुर्भाग्य क्या है हम हमेशा कश्मीर बोलते हैं, जम्मू- कश्मीर नहीं बोलते हैं. कश्मीर कहते ही जम्मू, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान दिमाग से निकल जाता है. ये जो पाकिस्तान के कब्जे में जो POK है उसका क्षेत्रफल 79000 वर्ग किलोमीटर है. उसमें कश्मीर का हिस्सा तो सिर्फ 6000 वर्ग किलोमीटर है और 9000 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा जम्मू का है और 64000 वर्ग किलोमीटर हिस्सा लद्दाख का है जो कि गिलगित-बाल्टिस्तान है. यह कभी कश्मीर का हिस्सा नहीं था यह लद्दाख का हिस्सा था वास्तव में सच्चाई यही है. इसलिए पाकिस्तान यह जो बार-बार कश्मीर का राग अलापता रहता है तो उसको कोई यह पूछे तो सही- क्या गिलगित-बाल्टिस्तान और जम्मू का हिस्सा जिस पर तुमने कब्ज़ा कर रखा है क्या ये भी कश्मीर का ही भाग है? कोई जवाब नहीं मिलेगा.

क्या आपको पता है गिलगित-बाल्टिस्तान, लद्दाख के रहने वाले लोगों की औसत आयु विश्व में सर्वाधिक है. यहाँ के लोग विश्व अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा जीते है.

भारत में आयोजित एक सेमिनार में गिलगित-बाल्टिस्तान के एक बड़े नेता को बुलाया गया था. उसने कहा कि “we are the forgotten people of forgotten lands of BHARAT”. उसने कहा कि देश हमारी बात ही नहीं जानता. किसी ने उससे सवाल किया कि क्या आप भारत में रहना चाहते हैं? तो उसने कहा कि 60 साल बाद तो आपने मुझे भारत बुलाया और वह भी अमेरिकन टूरिस्ट वीजा पर और आप मुझसे सवाल पूछते हैं कि क्या आप भारत में रहना चाहते हैं. उसने कहा कि आप गिलगित-बाल्टिस्तान के बच्चों को IIT, IIM में दाखिला दीजिए AIIMS में हमारे लोगों का इलाज कीजिए. हमें यह लगे तो सही कि भारत हमारी चिंता करता है, हमारी बात करता है. गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान की सेना कितने अत्याचार करती है लेकिन आपके किसी भी राष्ट्रीय अखबार में उसका जिक्र तक नहीं आता है. आप हमें ये अहसास तो दिलाइये की आप हमारे साथ है. और मैं खुद आपसे यह पूछता हूं कि आप सभी ने पाकिस्तान को हमारे कश्मीर में हर सहायता उपलब्ध कराते हुए देखा होगा. वह बार बार कहता है कि हम कश्मीर की जनता के साथ हैं. कश्मीर की आवाम हमारी है. लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि किसी भी भारत के नेता, मंत्री या सरकार ने यह कहा हो कि हम POK- गिलगित-बाल्टिस्तान की जनता के साथ हैं. वह हमारी आवाम है, उनको जो भी सहायता उपलब्ध होगी, हम उपलब्ध करवाएंगे आपने यह कभी नहीं सुना होगा.

कांग्रेस सरकार ने कभी POK- गिलगित-बाल्टिस्तान को पुनः भारत में लाने के लिए कोई बयान तक नहीं दिया प्रयास तो बहुत दूर की बात है. हालाँकि पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय POK का मुद्दा उठाया गया. फिर 10 साल पुनः मौन धारण हो गया और फिर से नरेंद्र मोदी जी की सरकार आने पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में ये मुद्दा उठाया.

आज अगर आप किसी को गिलगित के बारे में पूछ भी लोगे तो उसे यह पता नहीं है कि यह जम्मू कश्मीर का ही भाग है. वह यह पूछेगा क्या यह कोई चिड़िया का नाम है ? वास्तव में हमें जम्मू कश्मीर के बारे में जो गलत नजरिया है उसको बदलने की जरूरत है.

अब करना क्या चाहिए? तो पहली बात है सुरक्षा में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिए. जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा का मुद्दा बहुत संवेदनशील है. इस पर अनावश्यक वाद-विवाद नहीं होना चाहिए. एक अनावश्यक वाद विवाद चलता है कि जम्मू कश्मीर में इतनी सेना क्यों है? तो बुद्धिजीवियों को बता दिया जाए कि जम्मू-कश्मीर का 2800 किलोमीटर का बॉर्डर है. जिसमें 2400 किलोमीटर पर LoC है. आजादी के बाद भारत ने पांच युद्ध लड़े वह सभी जम्मू-कश्मीर से लड़े भारतीय सेना के 18 लोगों को परमवीर चक्र मिला और वह 18 के 18 जम्मू कश्मीर में शहीद हुए हैं.

इनमें 14000 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं जिनमें से 12000 जम्मू कश्मीर में शहीद हुए हैं. अब सेना बॉर्डर पर नहीं तो क्या मध्यप्रदेश में रहेगी. क्या यह सब जो सेना की इन बातों को नहीं समझते वही यह सब अनर्गल चर्चा करते हैं.

वास्तव में जम्मू कश्मीर पर बातचीत करने के बिंदु होने चाहिए- POK , वेस्ट पाक रिफ्यूजी, कश्मीरी हिंदू समाज, आतंक से पीड़ित लोग , धारा 370 और 35A का दुरूपयोग, गिलगित-बाल्टिस्तान का वह क्षेत्र जो आज पाकिस्तान -चाइना के कब्जे में है l जम्मू- कश्मीर के गिलगित- बाल्टिस्तान में अधिकांश जनसंख्या शिया मुसलमानों की है और वह सभी पाक विरोधी है वह आज भी अपनी लड़ाई खुद लड़ रहे हैं, पर भारत उनके साथ है ऐसा उनको महसूस कराना चाहिए, देश कभी उनके साथ खड़ा नहीं हुआ वास्तव में पूरे देश में इसकी चर्चा होनी चाहिएl

वास्तव में जम्मू-कश्मीर के विमर्श का मुद्दा बदलना चाहिए. जम्मू कश्मीर को लेकर सारे देश में सही जानकारी देने की जरूरत है. इसके लिए एक इंफॉर्मेशन कैंपेन चलना चाहिए. पूरे देश में वर्ष में एक बार 26 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर का दिवस मनाना चाहिए और सबसे बड़ी बात है जम्मू कश्मीर को राष्ट्रवादियों की नजर से देखना होगा. जम्मू कश्मीर की चर्चा हो तो वहां के राष्ट्रभक्तों की चर्चा होनी चाहिए तो उन 5 जिलों के कठमुल्ले तो फिर वैसे ही अपंग हो जाएंगे.

इस कश्मीर श्रृंखला के माध्यम से मैंने आपको पूरे जम्मू कश्मीर की पृष्ठभूमि और परिस्थितियों से अवगत करवाया और मेरा मुख्य उद्देश्य सिर्फ यही है जम्मू कश्मीर के बारे में देश के प्रत्येक नागरिक को यह सब जानकारियां होनी चाहिए. अब आप इतने समर्थ हैं कि जम्मू कश्मीर को लेकर आप किसी से भी वाद-विवाद या तर्क कर सकते हैं. किसी को आप समझा सकते हैं कि वास्तव में जम्मू-कश्मीर की परिस्थितियां क्या है.
वैसे तो जम्मू कश्मीर पर एक ग्रन्थ लिखा जा सकता है लेकिन मैंने जितना हो सका उतने संछिप्त रूप में इसे आपके सामने रखा है. आप पढ़कर लाइक कर रहे हो या बिना पढ़े लाइक कर रहे हो उसका कोई भी मतलब नहीं है.

अगर आप इस श्रृंखला को अधिक से अधिक जनता में प्रसारित करेंगे तभी हम जम्मू कश्मीर के विमर्श का मुद्दा बदल सकते हैं अन्यथा नहीं. इसलिए मेरा आप सभी से यही अनुरोध है श्रृंखला को अधिक से अधिक लोगों की जानकारी में लाया जाए, ताकि देश की जनता को जम्मू कश्मीर के संदर्भ में सही तथ्यों का पता लग सके.

(यह लेखक के अपने विचार है)

लेखक परिचय

रामदयाल शर्मा
क्षेत्र संयोजक,
विद्वत परिषद्, बिहार-झारखण्ड
पूर्व प्राचार्य, सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, छपरा

Exit mobile version