कुमना के कुम्भज ॠषि आश्रम मे महाशिवरात्रि पर लगता है विशाल मेला, तैयारियां जोरो पर

कुमना के कुम्भज ॠषि आश्रम मे महाशिवरात्रि पर लगता है विशाल मेला, तैयारियां जोरो पर

कुमना के कुम्भज ॠषि आश्रम मे महाशिवरात्रि पर लगता है विशाल मेला, तैयारियां जोरो पर

जलालपुर : प्रखंड के कुमना के कुंभज ॠषि आश्रम स्थित बाबा जलेश्वरनाथ मंदिर परिसर मे हर साल फाल्गुन महाशिवरात्रि को विशाल मेला लगता है. जहां कई जिलो समेत उत्तर प्रदेश के पड़ोसी जिलो से हजारो शिवभक्त जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं. इस एक- दो दिवसीय मेले मे करोड़ो का कारोबार होता है. इस मेले से सैकड़ो लोगो की सालोभर जीविका चलती है. यह त्रेता युगीन ऐतिहासिक महत्व वाला स्थान अब तक पर्यटक स्थल नहीं बन पाया है.

इससे स्थानीय लोगों को दु:ख है. जबकि पर्यटक स्थल बनाने के लिए राज्य सरकार के पूर्व के पर्यटन मंत्री ने इस बावत घोषणा भी की थी. प्राचीन जलेश्वर नाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व यह है कि यह त्रेता युगीन कुंभज ऋषि के आश्रम परिसर में स्थित है. ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में यहां कुम्भज ॠषि अपने आश्रम में राम कथा सुनाया करते थे, जिससे सुनने के लिए स्वयं भोले शंकर वेश बदलकर पहुंचते थे. इस बात का जिक्र रामचरितमानस में भी इस प्रकार किया गया है कि “एक समय त्रेतायुग माही, शंभू गए कुंभज ऋषि पाहीं.

इस स्थल के ऐतिहासिक महत्व के बारे में स्थानीय निवासी व शिक्षक हितेश कुमार सिंह कहते हैं कि बाबा जलेश्वर नाथ मंदिर के बगल मे स्थित खेत में खुदाई के दौरान बड़ा खम्भा व कई मूर्तियां भी मिली थी. वहीं वर्तमान जलेश्वर नाथ मंदिर का शिवलिंग भी यहां खुदाई के दौरान प्राप्त हुआ था. इस बावत जानकारी उनके बाबा ने दी थी. वहीं गांव के समाजसेवी अनुज कुमार सिंह बताते हैं कि कुंभज ऋषि के आश्रम के बगल मे किसी नदी के प्रवाह की भौगोलिक आकृति का होना तथा बगल में गंग कन्हौली गांव की स्थिति भी इस स्थल के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है.

इस मंदिर की विशेषता है कि यहां हर त्रयोदशी को मेला लगता है लेकिन फाल्गुन शिवरात्रि का विशाल मेला पूरे बिहार में प्रसिद्ध है. यह एक दो दिनो तक लगने वाला मेला करोड़ों का राजस्व देता है. दो ही दिनो मे यहां करोड़ो का व्यवसाय होता है. इस मेला में हजारों लोग पहुंचते हैं. यहां दूसरे जिलों से भी काठ के व्यापारी पलंग, फर्नीचर, चौकी, अलमीरा सोफा सेट की बिक्री के लिए पहुंचते हैं. वही मिट्टी के बर्तन के लिए भी यह मेला प्रसिद्ध है. जबकि हस्तशिल्प के भी स्थानीय कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर यहां बिक्री के लिए रखते हैं और काफी संख्या में बाहर से आने वाले मेलार्थी इसे खरीदते हैं.

मीठे की स्वादिष्ट जलेबियां भी यहां प्रसिद्ध है. मौसमी फल बेल की खूब बिक्री होती है. शिवरात्रि को बाबा जलेश्वर नाथ मंदिर में जल चढ़ाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्त पहुंचते हैं. जलेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी जगन्नाथ गिरी ने बताया कि यहां हमेशा शादी विवाह होते रहता है. शादी का मौसम होने के बाद पति पत्नी जोड़ें यहां आकर बाबा का आशीर्वाद लेते हैं.

उन्होंने बताया कि मांगे गए मन्नत के पूरा होने पर भक्तजन यहां आकर मंदिर का रंग रोगन, अष्टयाम तथा अन्य पूजा-पाठ सालों भर करते रहते हैं. कुंभज ऋषि का आश्रम अब तक नहीं बनने तथा इस ऐतिहासिक स्थल को अब तक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित नहीं होने पर कुमना पंचायत के मुखिया धर्मेंद्र कुमार सिंह उर्फ डब्ल्यू सिंह ने बताया कि पूर्व के सांसद, मंत्री व विधायको ने पर्यटक स्थल बनाने के लिए प्रयास करने की बात कही थी.

वहीं पूर्व के पर्यटन मंत्री ने भी इसे पर्यटक स्थल बनाने की घोषणा की थी. लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया जा सका है. उन्होने बताया कि यह बिहार का एकलौता ऐसा मंदिर है जो कुंभज ऋषि के आश्रम में स्थित है. त्रेता युगीन यह मंदिर स्थल है. वे अपने स्तर से एक धर्मशाला जहां शादी विवाह लोग आसानी से कर सके तथा अष्टयाम कराने के लिए मंडप का निर्माण करा रहे हैं.

उन्होने राज्य सरकार से मांग की कि इस ऐतिहासिक स्थल को शीघ्र पर्यटक स्थल बनाया जाए. यहां पर्यटन की आपार संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि इस वर्ष अठारह फरवरी को लगने वाले महाशिवरात्रि मेले की तैयारियां जोरो पर है. गांव के स्वयंसेवक युवा मेले में प्याऊ की व्यवस्था तथा शांति व्यवस्था स्थापित करते है. उन्होंने बताया कि इस ऐतिहासिक मेले में उत्तर प्रदेश, सिवान, गोपालगंज, छपरा तथा मोतिहारी से भी लोग पहुंचते हैं.

ऐसी मान्यता है कि बाबा जलेश्वर नाथ के मंदिर में जलाभिषेक व दुग्ध अभिषेक कर अभीष्ट कामना करने से उनकी मन्नते पूरी हो जाती हैं. बाबा जलेश्वर नाथ की महिमा अपरंपार है.

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