Patna: संसद इस मुल्क का एक ऐतिहासिक प्रतीक और हमारी पहचान रही है। नए संसद भवन के निर्माण की आख़िर इतनी जरूरत ही क्या थी? मौजूदा केंद्रीय हुकूमत के सदर वजीरे आजम ज़नाब नरेंद्र मोदी साहब को यह चिंतन करना चाहिए कि आखिर क्यों इस मुल्क की 20 विपक्षी पार्टियाँ आपके इस उद्घाटन कार्यक्रम की मुख़ालफ़त कर रही हैं।
देश के संवैधानिक प्रमुख महामहिम राष्ट्रपति महोदया को नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम से अलग रखना जम्हूरियत के सामने एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या यह माना जाए कि एक आदिवासी समाज से आनेवाली महिला को जानबूझकर उनके अधिकार से उन्हें वंचित किया जा रहा है!
सत्ता जब निरंकुश होने लगती है तो तानाशाही वृतियों का चलन बढ़ जाता है। हम और हमलोग के बीच का फासला बढ़ने लगता है। लेकिन आवाम की नज़रों से कुछ भी ओझल नहीं होता। मौजूदा केंद्रीय हुकूमत को कर्नाटक चुनाव परिणाम से सबक लेनी चाहिए।
लोकतंत्र में विपक्ष का मजबूत होना बहुत जरूरी है। हमारे वजीरे आला जनाब नीतीश कुमार साहब मुल्क की सियासी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में लगे हैं और सभी का समर्थन भी उन्हें मिल रहा है। विपक्षी एकता के सूत्रधार श्री नीतीश कुमार जी की संकल्पना एक मजबूत आकार ग्रहण कर रही है और हमारी आवाम बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, मँहगाई आदि मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी। अगली बार, नई सरकार के संकल्प के साथ मौजूदा केंद्रीय हुकूमत को बदलने का वक़्त आ चुका है।