बिहार: चुनाव गांव की सरकार का और नजरें विधान परिषद की रिक्त 24 सीटों पर

बिहार: चुनाव गांव की सरकार का और नजरें विधान परिषद की रिक्त 24 सीटों पर

पटना: बिहार में शुक्रवार यानी 24 सितंबर से 11 चरणों में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का आगाज हो रहा है। इसके मद्देनजर प्रदेश में पंचायत चुनाव की गैरदलीय बिसात पर जीत की बाजी लगाने के लिए प्रदेश की सभी राजनीतिक पार्टियां जुट गई है।

स्थानीय निकाय चुनाव कोटे की सभी खाली 24 विधान परिषद सीटों पर उम्मीदवारों के चेहरों के लिए दलीय रणनीतिकारों को मतदाताओं की तलाश है, जो पंचायत चुनाव में जीत दिलाने के साथ ही विधान परिषद चुनाव में जीत की गारंटी पुख्ता कर सके। साथ ही 2024-25 के लोकसभा और विधानसभा की पृष्ठभूमि भी तैयार कर सके।

Read Also: मढौरा एसडीओ पहुंचे मशरख लिया चुनाव की तैयारियों का जायज़ा

पंचायत चुनाव संपन्न होने के कुछ दिन बाद ही स्थानीय निकाय कोटे की सभी 24 विधानपरिषद सीटों के चुनाव संभावित हैं। दलगत आधार पर होने वाले विधानपरिषद चुनाव में पार्टियों को भी जोर आजमाइश करनी है। पंचायत चुनाव में अधिक से अधिक समर्थकों को जीत दिलाए बिना पार्टियों का विधान परिषद की इन सीटों पर फतह पाना मुश्किल होगा। इस कारण गांव की सरकार चुनने की मुनादी के साथ ही प्रदेश की सभी पार्टियां बाजी मारने की रणनीति बनाने में जुट गई हैं। यहां तक कि पंचायती राज प्रतिनिधि बनने के ख्वाहिशमंद उम्मीदवार भी प्रमुख पार्टियों का समर्थन पाने के लिए दलों के दरवाजे पर घूम रहे हैं। जिला परिषद अध्यक्ष या प्रमुख बनने की चाहत रखने वाले लोग तो हर कीमत पर किसी प्रमुख पार्टी का समर्थन पाना चाह रहे हैं।

विधान परिषद का चुनाव दलीय प्रतिष्ठा से जुड़ा है। इसलिए समर्थक मतदाताओं की तादाद बढ़ाने की योजना पंचायत चुनाव के दौरान ही बनाई जा सकती हैं। क्योंकि, स्थानीय निकाय कोटे की विधानपरिषद सीटों के लिए त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत और नगर निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधि ही मतदाता बन सकते हैं। पंचायत, प्रखंड और जिलों के निर्वाचित निकायों पर पार्टी समर्थकों के कब्जे से जमीनी स्तर पर पार्टी की योजनाओं को पहुंचाने में मदद मिलती है।

मुखिया की सीट तक है पार्टियों की निगाह:

गांव की सरकार में पार्टियों की योजना केवल जिला परिषद अध्यक्ष और प्रखंड प्रमुख तक ही सीमित नहीं है। मुखिया के पद पर भी दलीय रणनीतिकारों की पैनी निगाह है। जिला परिषद अध्यक्ष और प्रखंड प्रमुख के पद पर पार्टी समर्थकों को काबिज कराने के लिए जिला पार्षद और पंचायत समिति सदस्य के रूप में भी पार्टी के नुमाइंदों का पर्याप्त संख्या में जीतकर आना जरूरी है। पिछले पंचायत चुनावों का मिजाज बताता है कि सबसे अधिक मारामारी मुखिया की सीट के लिए ही होती है। मुखिया के उम्मीदवारों के साथ समझौता करने पर ही जिला परिषद या पंचायत समिति उम्मीदवारों की राह आसान हो सकती है।

पार्टियां क्यों हैं बेचैन

-पंचायत चुनाव के बहाने जमीनी स्तर पर संगठन विस्तार का मौका मिलता है।

-पंचायत, प्रखंड और जिलों के निर्वाचित निकायों पर पार्टी समर्थकों के कब्जे से जमीनी स्तर पर पार्टी की योजनाओं को पहुंचाने में मदद मिलती है।

-लोकसभा या विधानसभा चुनाव के दौरान वोट का गणित अपने पक्ष में करने में आसानी होती है।

दल ऐसे बना सकते हैं रणनीति

-जिला पार्षद उम्मीदवारों को पार्टी के वरिष्ठ नेता उम्मीदवार घोषित किए बिना चुनाव प्रचार में सहयोग करेंगे। -हर जिला पार्षद उम्मीदवार के साथ पंचायत समिति सदस्य और मुखिया उम्मीदवार के पैनल को प्रचारित किया जाएगा।

-अभी से ही जिला परिषद अध्यक्ष और प्रखंड प्रमुख पद पर कब्जे के लिए योजना बनाई जाएगी।

-एक सीट से एक ही पार्टी समर्थक का लड़ना पार्टियां सुनिश्चित करेंगी।

क्या कहती हैं प्रदेश की मुख्य पार्टियां

प्रदेश महामंत्री भाजपा देवेश कुमार ने बातचीत में कहा कि गैरदलीय चुनाव के बाद भी ग्रासरूट डेमोक्रेसी से हम उदासीन कैसे रह सकते हैं। उम्मीदवार घोषित किए बिना स्थानीय कार्यकर्ता एक उम्मीदवार का समर्थन तय कर जीत सुनिश्चित करने पर जोर लगाएंगे।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदनमोहन झा ने कहा कि स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ता समर्थक उम्मीदवार की जीत की रणनीति बनाएंगे। गैरदलीय चुनाव के बाद भी कोशिश होगी की पंचायती राज में अधिक से अधिक लोग आएं। प्रदेश राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि पंचायत स्तर पर हमारा संगठन पहले से मजबूत है। औपचारिक रूप से हस्तक्षेप किए बिना पार्टी समर्थकों की पंचायती राज में अधिक भागीदारी पर फोकस रहेगा।

प्रदेश जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के विचारों को गांव तक पहुंचाने वाले कार्यकर्ताओं का स्थानीय स्तर पर काफी सम्मान है। इसलिए उम्मीदवार घोषित नहीं करने की बाध्यता के बावजूद बड़ी संख्या में जदयू समर्थकों के जीतने का विश्वास है।

स्थानीय निकाय कोटे की खाली सीटें

पटना, भोजपुर, गया-जहानाबाद-अरवल, नालंदा, रोहतास-कैमूर, नवादा, औरंगाबाद, सारण, सीवान, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी-शिवहर, पूर्णिया-अररिया-किशनगंज, भागलपुर-बांका, मुंगेर-जमुई-लखीसराय-शेखपुरा, कटिहार, सहरसा-मधेपुरा-सुपौल, मधुबनी, गोपालगंज, बेगूसराय-खगड़िया।

0Shares
A valid URL was not provided.

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें