इतिहास के पन्नों मेंः 22 मई

इतिहास के पन्नों मेंः 22 मई

पांच साल, तीन बड़ी उपब्धियांः शेरशाह सूरी के रूप में ऐसा शासक रहा है, जिसके नाम उपलब्धियों की फेहरिस्त है। 1486 में पैदा हुए शेरशाह सूरी की 22 मई 1545 को कालिंजर किले की घेराबंदी के दौरान विस्फोट से मौत हो गयी। उससे पहले शेरशाह ने हुमायूं को हराकर उत्तर भारत में सूरी साम्राज्य की स्थापना की। दरअसल, शेरशाह सूरी बाबर के लिए सैनिक के रूप में काम किया और बाद में पदोन्नति पाकर समकालीन व्यवस्था के तहत बिहार के राज्यपाल बने। 1537 में हुमायूं के सुदूर सैन्य अभियान पर रहने के दौरान शेरशाह ने बंगाल पर कब्जा कर सूरी वंश की स्थापना की। दो वर्षों बाद1539 में हुमायूं के साथ चौसा की लड़ाई शेरशाह सूरी ने जीती। उसके बाद अपना सिक्का चलवाकर शेरशाह ने हुमायूं को खुली चुनौती दे डाली।

इसी दौरान दोबारा 1540 में कन्नौज की लड़ाई में शेरशाह ने हुमायूं को दोबारा हराकर उसे भारत छोड़ने को मजबूर कर दिया।
शेरशाह के पांच साल के शासन में कई उपलब्धियां दर्ज हैं। इनमें खासतौर पर जीटी रोड का निर्माण शामिल है। यह सड़क काबुल से चटगांव तक थी। इससे ट्रांसपोर्ट और व्यापार बढ़ा। हालांकि शेरशाह सूरी से पूर्व भारतीय व्यापार मार्ग के रूप में उत्तरापथ और दक्षिणपथ पहले से मौजूद होने के प्रमाण भी हैं। शेरशाह के शासन में ही रुपये का प्रचलन शुरू हुआ जो आज भी कायम है। यह भारत सहित कई दूसरे देशों की भी करंसी है। शेरशाह के शासन में डाक व्यवस्था को पुनर्गठित किया गया।

22 मई 1545 को चंदेल राजपूतों के खिलाफ लड़ते हुए शेरशाह सूरी ने कालिंजर किले की घेराबंदी की। महीनों की घेराबंदी के बावजूद काफी मजबूत बने कालिंजर के किले को गिराने के लिए शेरशाह ने गोला-बारूद का इस्तेमाल किया। इसी दौरान धमाके में शेरशाह सूरी की मौत हो गयी। कहते हैं कि शेरशाह ने अपने जीवनकाल में ही अपने मकबरे का काम शुरू करवा दिया था जो बिहार के सासाराम में है और यह मकबरा एक कृत्रिम झील से घिरा हुआ है।

उत्तरापथ और दक्षिणापथ प्राचीन भारत का व्यापार का मार्अन्य अहम घटनाएंः

1772ः भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत राजा राममोहन राय का जन्म।

1915ः प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान इटली ने ऑस्ट्रिया, हंगरी और जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

1936ः लॉर्ड ब्रेबॉर्न ने बंबई में ब्रेबॉर्न स्टेडियम की नींव रखी जिसे देश का पहला स्टेडियम माना जाता है।

1963ः भारत के पहले ग्लाइडर रोहिणी ने उड़ान भरी।

1988ः भारत ने स्वदेश में विकसित अंतर महाद्विपीय बलिस्टिक मिसाइल अग्नि का सफल परीक्ष किया।

1990ः उत्तरी और दक्षिणी यमन के विलय के साथ संयुक्त यमन गणराज्य का उदय।

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