इतिहास के पन्नों में 3 दिसंबर: भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्मदिवस

इतिहास के पन्नों में 3 दिसंबर: भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्मदिवस

…हर तरफ था मौत का मंजरः स्थान- भोपाल, साल- 1984, तारीख- 02/03 दिसंबर। कयामत की रात की दास्तां, उस मनहूस सुबह के चेहरे पर हमेशा के लिए चस्पां हो गयी। आधी रात को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से जहरीली गैस मिथाइल आइसो साइनाइड के रिसाव ने पलक झपकते हजारों की जिंदगी ले ली। देखते ही देखते हजारों की संख्या में लोगों की जिंदगी हमेशा-हमेशा के लिए तबाह हो गयी। इस भयावह घटना के लिए जिम्मेदार कंपनी का मुख्य प्रबंध अधिकारी वॉरेन एंडरसन रातोंरात भारत छोड़कर अमेरिका भाग चुका था।

भोपाल में वह कड़ाके की सर्द रात थी। लोग अपने घरों में चैन की नींद में सो रहे थे। भोपाल के छोला रोड स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने में भी रोजमर्रा की तरह अधिकारी और कर्मचारी अपने-अपने काम में जुटे थे। इसी दौरान कंपनी के कुछ कर्मचारी भूमिगत टैंक के पास पाइप लाइन की सफाई करते हैं। कारखाने के भूमिगत टैंक में रासायनिक प्रतिक्रिया शुरू हुई और टैंकर का तापमान 200 डिग्री तक पहुंच गया तो गैस बनने लगी। टैंक से गैस पाइप में पहुंचने लगी। वाल्व ठीक से बंद नहीं होने के कारण टावर से गैस का रिसाव शुरू हो गया। वाल्व को बंद करने की कोशिशें शुरू हुई और तभी खतरे का सायरन भी गूंज उठा।

समय ने दस्तक दी। रात लगभग 01 बजे फैक्ट्री के आसपास की बस्तियों में लोगों को घुटन, खांसी, उल्टियां और आंखों में जलन की शिकायतें शुरू हो चुकी थी। कई लोगों को तो जहरीली गैस ने कोई मौका ही नहीं दिया, सोयी हुई अवस्था में ही कई लोग दम तोड़ चुके थे। चारों तरफ भगदड़, अफरातफरी के मंजर के बीच बदहवास लोग जान बचाने के लिए जहां-तहां भाग रहे थे। क्या बच्चे और बुजुर्ग, क्या औरत और मर्द। अस्पतालों में भीड़ लग गयी। शहर की सड़कों पर लोग दम तोड़ रहे थे। पूरे शहर में कीटनाशक बनाने में इस्तेमाल होने वाली जहरीली गैस फैल चुकी थी।

सुबह छह बजे तक पूरा शहर लाशों के ढेर में बदल चुका था। जिन लोगों की जिंदगी इस दौरान बच गयी, वे भी भयावह किस्म की शारीरिक हालत में थे। किसी के आंखों की रोशनी चली गयी तो कई लोगों ने कुछ दिनों के बाद इलाज के दौरान दम तोड़ा।

इस हादसे पर आधारित एक फिल्म ‘भोपाल ए प्रेयर ऑफ रेन’ का निर्माण कर घटना की भयावहता को दिखाया गया है। इस त्रासदी का ऐसा गंभीर असर पड़ा कि भोपाल में बच्चे दिव्यांग या असामान्यताओं के साथ पैदा हुए। कहते हैं कि घटना में 15 हजार से अधिक लोगों की जान गयी।हालांकि मध्य प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने तीन हजार, 787 लोगों की मौत की ही पुष्टि की।

अन्य अहम घटनाएंः
1829ः वायसराय लॉर्ड विलियम बैंटिक ने भारत में सती प्रथा पर रोक लगायी।
1882ः भारत के सुप्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बोस का जन्म।
1884ः भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म।
1889ः देश के लिए शहीद होने वाले क्रांतिकारी खुदीराम बोस का जन्म।
1903ः हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक यशपाल का जन्म।
1913ः साहित्यकार शिवनारायण श्रीवास्तव का जन्म।
1937ः जाने-माने भारतीय भाषाविद विनोद बिहारी वर्मा का जन्म।
1959ः भारत और नेपाल ने गंडक सिंचाई और विद्युत परियोजना के समझौते पर हस्ताक्षर किए।
1967ः भारत का पहला रॉकेट (रोहिणी आरएच 75) को थुम्बा से प्रक्षेपित किया गया।
1971ः परमवीर चक्र से सम्मानित लांसनायक अल्बर्ट एक्का का निधन।
1979ः भारत के प्रख्यात हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद का निधन।
2011ः दिग्गज फिल्म अभिनेता देवानंद का निधन।

0Shares
A valid URL was not provided.

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें