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इतिहास के पन्नों में 2 अक्टूबर: भारत के दो सपूतों का जन्म

भारत के दो सपूतों का जन्मः भारत के राजनैतिक इतिहास में 02 अक्टूबर का दिन खास महत्व रखता है। अलग-अलग वर्षों में इसी तारीख को देश की दो ऐसी शख्सियतों का जन्म हुआ जिन्होंने समय के फलक पर अपने व्यक्तित्व की अमिट छाप छोड़ी।

02 अक्टूबर 1869 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का गुजरात के पोरबंदर में जन्म हुआ। कठिन से कठिन परिस्थितियों में अहिंसा का रास्ता नहीं छोड़कर महात्मा गांधी एक नयी राजनीतिक चेतना के प्रणेता बने। महात्मा गांधी के राजनीतिक प्रयोगों ने भारत ही नहीं बल्कि विश्व के दूसरे हिस्सों को भी प्रभावित किया।

02 अक्टूबर 1904 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का जन्म हुआ। 1965 के भारत और पाकिस्तान युद्ध के समय उनके साहसिक निर्णयों ने दुश्मनों की पराजय की पटकथा तैयार कर दी। जय जवान-जय किसान का नारा देने वाले लालबहादुर शास्त्री जन-जन में लोकप्रिय हुए। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1964 में नेहरू जी के बाद जब वे प्रधानमंत्री बने तो देश में अनाज का संकट पैदा हो गया। अमेरिका ने शर्तों के साथ भारत को अनाज देने की पेशकश की लेकिन शास्त्री जी जानते थे कि अमेरिकी अनाज लिया तो देश का स्वाभिमान आहत होगा। ऐसे में उन्होंने अपने परिवार को एक दिन का उपवास करने को कहा। शास्त्री जी के साथ धर्मपत्नी और बच्चों ने भी उपवास रखा। खुद के परिवार का उपवास जब सफल रहा तो उन्होंने देश के लोगों से सप्ताह में एक दिन के उपवास का आह्वान किया और देशवासियों ने उनके आह्वान का पालन कर दुनिया को नया संदेश दिया। शास्त्रीजी ने कहा था- पेट पर रस्सी बांधो, साग-सब्जी ज्यादा खाओ, सप्ताह में एकदिन एक वक्त उपवास रखो, देश को अपना मान दो।

अन्य अहम घटनाएंः

1906ः भारत के विख्यात चित्रकार राजा रवि वर्मा का निधन।

1952ः सामुदायिक विकास कार्यक्रम की शुरुआत।

1955ः मद्रास में इंटीग्रल कोच फैक्टरी ने रेल का पहला डिब्बा बनाया।

1961ः बंबई में शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना।

1988ः मंडपम और पंबन को जोड़ने वाले समुद्र के ऊपर बने सबसे बड़े सड़क पुल को यातायात के लिए खोला गया।

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