इतिहास के पन्नों में: 19 अक्टूबर

इतिहास के पन्नों में: 19 अक्टूबर

खगोल विज्ञान का ध्रुवताराः 1935 की शुरुआत में एक खगोल वैज्ञानिक ने जब ब्लैक होल बनने को लेकर विचार रखे थे, उसे स्वीकार नहीं किया गया। ब्लैक होल अंतरिक्ष में वह जगह है, जहां भौतिक विज्ञान के सामान्य नियम-सिद्धांत काम नहीं करते, इसका गुरुत्वाकर्षण बहुत ताकतवर होता है। यहां तक कि प्रकाश भी यहां प्रवेश के बाद बाहर नहीं निकल पाता। यह अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश को अवशोषित कर लेता है।

ब्लैक होल के बारे में यह विचार रखने वाले विख्यात भारतीय-अमेरिकी खगोल विज्ञानी सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को भौतिकी पर उनके अध्ययन के लिए विलियम एम. फाउलर के साथ संयुक्त रूप से 1983 में नोबेल पुरस्कार मिला। तब 19 अक्टूबर, 1910 को लाहौर (अब पाकिस्तान) में पैदा हुए चंद्रशेखर की शुरुआती पढ़ाई मद्रास में हुई और मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से स्नातक की उपाधि लेने तक उनके कई शोधपत्र प्रकाशित हो चुके थे।

1934 में 24 वर्ष के चंद्रशेखर ने अपनी मेधा का परिचय तब दिया, जब उन्होंने तारे गिरने और उसके लुप्त होने की वैज्ञानिक जिज्ञासा सुलझा ली। फिर 11 जनवरी, 1935 को लंदन की रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी की बैठक में उन्होंने अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया। उसमें बताया गया कि व्हाइट ड्वार्फ तारे एक निश्चित द्रव्यमान यानी डेफिनेट मास प्राप्त करने के बाद अपने भार में वृद्धि नहीं कर सकते, अंततः वे ब्लैक होल बन जाते हैं। शुरू में उनके इस विचार को मान्यता नहीं मिली लेकिन 50 साल बाद 1983 में उनके इस सिद्धांत को मान्यता मिली। वे चंद्रशेखर सीमा यानी चंद्रशेखर लिमिट के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं। गणितीय गणनाओं और समीकरण के आधार पर उन्होंने चंद्रशेखर लिमिट का विवेचन किया था।

अध्ययन और शोध के लिए एकबार भारत छोड़ने के बाद चंद्रशेखर विदेशों के होकर रह गए। हालांकि अपने मन में उन्होंने हमेशा एक भारत को बसाए रखा। वे भारत में भी अमेरिका की तरह संस्था ‘सेटी’ (पृथ्वीत्तर नक्षत्र लोक में बौद्धिक जीवों की खोज) का गठन करना चाहते थे। दुनिया भर के कई पुरस्कारों से सम्मानित डॉ. चंद्रशेखर को 1969 में भारत सरकार की तरफ से पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इस मौके पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अफसोस जताते हुए कहा था कि ‘बड़े दुख की बात है कि हम चंद्रशेखर को अपने देश में नहीं रख सके पर आज भी नहीं कह सकती कि यदि वे भारत में ही रहते तो इतना बड़ा काम कर पाते।’ 1995 में इस महान वैज्ञानिक ने शिकागो में अंतिम सांसें लीं।

अन्य अहम घटनाएं:

1870: प्रसिद्ध महिला क्रांतिकारी मातंगिनी हजारा का जन्म।

1887: सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सारंगधर दास का जन्म।

1929: महिला गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता निर्मला देशपांडे का जन्म।

1961: फिल्म अभिनेता सनी देओल का जन्म।

1995: हिंदी फिल्म अभिनेत्री कुमारी नाज का निधन।

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