जी हां, पॉकेट मनी को दुगना करने की चक्कर मे युवा पीढ़ी अंधकार की ओर बढ़ती जा रही हैं.हाल ही में शुरू हुए इंडियन प्रीमियर लीग इसका ताजा उदाहरण है. आईपीएल की पिच पर जहां खिलाड़ी जीत ओर हार के लिए मेहनत करते है वही उनकी खेलो पर सट्टा बाज़ार गुलज़ार रहता है.
आईपीएल के इन दो महीनों में कितने बनते है तो कई लुट जाते है. जनाब, ये लत ही ऐसा है. जीत के बाद और लगाने की जिद, हारने के बाद जीत की आस में कई सुरमा चित हो गये.
ज़माना डिजिटल हो गया है और बेटिंग के नए तरीके भी सटोरी आजमा रहे है. कॉल को छोड़ व्हाट्स अप्प पर ही काम चला रहे है. नशा ऐसा की नई युवा पीढ़ी की बढ़ती संख्या दिन प्रतिदिन इसकी चपेट में आती दिख रही है. अपने पॉकेट मनी को दुगना करने की चाहत में युवा किसी और को नही अपने आप को धोखा दे रहे है.
सटोरियों की माने तो इस बार आईपीएल में कुछ टीम को छोड़ बाकि टीम पर भाव बराबर का है. इनका कहना है कि इस वर्ष सभी मुकाबले रोमांचक हो रहे है. किसी को कम आंकना मुश्किल है. कोई भी टीम कभी भी जीत सकती है और कभी भी हार सकती है, 20-20 का यह मैच है एक प्लेयर भी मैच को जीता ले जाता है.
लेकिन कुछ पसंदीदा टीम है जैसे बंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई, कोलकाता जिनपर खूब भाव चल रहा है. आईपीएल शुरू होते ही चाय की दुकानों से लेकर कोचिंग से छूटने के बाद इसी की चर्चा जोरों पर है.मैच की शुरुआत के साथ टीवी पर चिपक जाते है और तब शुरू होता है 13,14,15 का खेल. मैच की समाप्ति किसी के लिए खुशी तो किसी के लिए गम दे जाती हैं.