कविता: ख़्वाब और हक़ीक़त का फासला मिटाकर रहेगा युवा

कविता: ख़्वाब और हक़ीक़त का फासला मिटाकर रहेगा युवा

                  युवा
ख़्वाब और हक़ीक़त का फांसला मिटाकर रहेगा युवा ।
बढ़ते रहा है और बढ़ता रहेगा युवा ।।
ना रुके बहती हवा,ना बहता पानी,ना  जज़्बा-ए-यौवन।
दुनिया जो भी हो तेरी रीत,तेरा चलन।।
उसेे तो पाना है वो मुकम्मल मंज़िल।
चाहें पार करने हो सैकड़ो नदी-समंदर-झील।।
ना लगाओ बेपरवाही का वो इलज़ाम।
बेपरवाहों के उल्टे-सीधे आगाज़, जाने कब पा लेते हैं अंज़ाम।।
आते हैं सामने अनेको अच्छे-बुरे मंज़र।
निडरता उसका सहारा,सामना करने का रखता वो ज़िगर।।
देश का आज वही है,वही है कल।
जोश-खरोश से कर डाले सारे समस्याओं का हल।।
क्या मुश्किल,जाने क्या आसान।
युवा तो मसल डाले बड़े-बड़े पाषाण।।
ज़मीं-आसमां का फांसला मिटाकर रहेगा युवा।
बढ़ते रहा है और बढ़ता रहेगा युवा।।
              
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लेखक सन्नी कुमार सिन्हा
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