बचपन में आपने बहुत से ऐसे खेल खेले होंगे जिन्हें आज के मोबाइल पर गेम खेलने वाले बच्चे जानते ही नहीं है. वे रियल वर्ल्ड से दूर कही वर्चुवल वर्ल्ड में गुम है.
आपको थोड़ा पीछे लेकर चलते है और आपके बचपन के उन दिनों को याद कराते है जब आप स्कूल से आते ही होम ट्यूटर के आने या जाने के बाद अपने दोस्तों के साथ उन खेलों को खेलते थे. उन खेलों से आपका मानसिक और शारिरिक और बौद्धिक विकास हुआ.
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आज जब आप यह स्टोरी पढ़ रहे है या अपने पुराने मित्रों से मिलते है तो सुनहरी यादों में खो जाते है. बचपन में आपने डेंगा-पानी, कोना-कोनी, आँख मिचौली, विष-अमृत, खो-खो, लुक्का छिपी, कबड्डी आदि जैसे खेलों को जरूर खेल होगा. घर के बाहर न निकलने वाले बच्चों में लूडो, व्यापारी, चोर-सिपाही जैसे खेल होते थे जो आज भी आपको याद होंगे.
समय बदला और आधुनिक साधन हमें वीडियो गेम और फिर मोबाइल गेम से शारीरिक खेलों से बच्चों को दूर कर दिया. आज तो बच्चे घर से बाहर निकलने की बजाय मोबाइल और टीवी पर गेम खेलने में व्यस्त है. इसका असर उनके स्वास्थ्य पर देखने को भी मिलता है. समय बदला और हम सभी भी उन खेलों को भूलते जा रहे है.