Chhapra: सारण जिले के सदर प्रखंड स्थित बदलूटोला कोहबरवां गांव की 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला शिवदसिया कुंवर को केंद्रीय इस्पात मंत्रालय ने अपनी डॉक्यूमेंट्री में जगह दी है. मंत्रालय के इस्पाती इरादा कैंपेन के अंतर्गत देश भर से 12 लोगों को उनके सामाजिक कार्य के आधार पर चयनित किया गया है, जिनमे शिवदसिया बिहार से चुनी जाने वाली इकलौती महिला हैं.
स्कूल के लिए जमीन की है दान
शिवदसिया ने गरीब व अनपढ़ होकर भी गांव में स्कूल खोलने के लिए अपने हिस्से की आखिरी जमीन दान में दे दी थी. इस्पाती इरादा कैंपेन की आइकॉन बनने के बाद पूरा गांव उन पर गर्व कर रहा है. शिवदसिया ने अपने संकल्प के माध्यम से गांव के बच्चों पढ़ने का अवसर दिया है. गांव के लोगों को भी उम्मीद है कि शिवदसिया के माध्यम से ही उनके गांव की तस्वीर बदलेगी.
छपरा के पत्रकार की स्टोरी से आई चर्चा में
डॉक्यूमेंट्री में पत्रकार प्रभात किरण हिमांशु भी दिख रहे है. जिनके स्वर में ही पूरे डॉक्यूमेंट्री का फिल्मांकन किया गया है. दरअसल सबसे पहले उन्होंने ही शिवदसिया कुंवर की स्टोरी लिखी थी. जिसे एक समाचार पत्र के प्रकाशित किया था. जिसके बाद शिवदसिया कुंवर चर्चा में आई थी और प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया पर उनकी खबरें चली थी. जिसके बाद डॉक्यूमेंट्री मेकर्स की नजर उनपर पड़ी और अब उनकी स्टोरी देश के लोगों को इस्पात इरादा कैम्पेन के माध्यम से प्रेरित करेगी.
प्रभात किरण हिमांशु बताते है कि शिवदसिया कुंवर जिस कोहबरवां गांव से सरोकार रखती हैं वहां आजादी के दशकों बाद तक कोई स्कूल नहीं था. गांव के बच्चों को दूसरे गांव में जाकर वहां के सरकारी स्कूल में पढ़ना मुश्किल हो रहा था. ऐसे में एक दिन गांव में स्कूल खोलने के लिए जमीन दान देने की बात हुई. गांव के अधिकतर लोग गरीब किसान व मजदूर थे. ऐसे में शिवदसिया ही वह पहली महिला थी जिन्होंने गरीब होकर भी अपने पति से मिली जमीन को दान में दे दिया.
सारण के आकाश ने डायरेक्टर की है डॉक्यूमेंट्री
केंद्रीय इस्पात मंत्रालय ने शिवदसिया को अपने इस्पात इरादा डॉक्यूमेंट्री में आइकॉन के रूप में जगह दी है. इस डॉक्यूमेंट्री का निर्माण आकाश अरुण ने किया है. दिल्ली में कार्यरत आकाश सारण के ही रहने वाले हैं.
दान वीरांगना को सुविधाओं का इंतजार
शिवदसिया ढ़लती उम्र में अब बहुत कम बातें कर पाती हैं. उनका कहना है कि यदि उनके पास और जमीन होती तो उसे भी दान में दे देतीं. हालांकि इस दान वीरांगना को कई बुनियादी सुविधाएं अभी भी नहीं मिल पा रही हैं. महीनों से वृद्धा पेंशन बंद है. आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होने के कारण दैनिक जीवनयापन में भी कई चुनौतियां हैं. शिवदसिया को पहचान व सम्मान ले साथ जरूरी व्यवस्थाएं भी मिलनी चाहिये.
क्या है इस्पाती इरादा कैंपेन
इस्पात मंत्रालय द्वारा शुरू की गयी ‘इस्पाती इरादा’ कैंपेन भारत के इस्पाती इरादों वाले लोगों की कहानी है. ऐसे लोगों की कहानी जिन्होंने अपनी इच्छा शक्ति से समाज को बदलने का बीड़ा उठाया है. पूरे देश से 100 लोगों की कहानी में से 12 का चयन किया गया है.