अरब सागर में एंटी शिप ब्रह्मोस का परीक्षण, मिसाइल ने लगाया सटीक निशाना

अरब सागर में एंटी शिप ब्रह्मोस का परीक्षण, मिसाइल ने लगाया सटीक निशाना

– ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज गति से उड़ती है स्वदेशी मिसाइल
– एक बार फिर भारत की आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता और मजबूत हुई

नई दिल्ली: भारतीय नौसेना ने रविवार को बूस्टर के साथ अरब सागर में सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल के एंटी शिप संस्करण का परीक्षण किया। जहाज से लॉन्च की गई ब्रह्मोस मिसाइल ने 2.8 मैक या ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज गति से उड़कर लक्ष्य पर सटीक हमला किया, जिससे एयरोस्पेस की दुनिया में एक बार फिर भारत की आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता मजबूत हुई।

भारतीय नौसेना ने पिछले साल अप्रैल में अंडमान और निकोबार कमांड के साथ संयुक्त रूप से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एंटी शिप संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। नौसेना की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत ब्रह्मोस मिसाइल का रविवार को एक बार फिर सफल परीक्षण किया गया है। इसके बूस्टर को डीआरडीओ ने डिजाइन किया है। मिसाइल का परीक्षण कोलकाता क्लास के गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर वारशिप से किया गया। मिसाइल ने अरब सागर में अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाया। मिसाइल में स्वदेशी सामग्री बढ़ाने पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस लगातार काम कर रहा है।

भारत ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात भी कर रहा है। पिछले साल जनवरी में भारत ने फिलीपींस के साथ मिसाइल की तीन बैटरियों की आपूर्ति के लिए 37.5 करोड़ डॉलर का सौदा किया था। ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी, शिप, एयरक्राफ्ट या जमीन कहीं से भी छोड़ा जा सकता है। इस मिसाइल को भारतीय सेना के तीनों अंगों, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को सौंपा जा चुका है।ब्रह्मोस मिसाइल के कई वर्जन मौजूद हैं, जिसमें लैंड लॉन्च, शिप लॉन्च, सबमरीन लॉन्च, एयर-लॉन्च वर्जन की टेस्टिंग हो चुकी है।

इससे पहले भारतीय वायु सेना ने दिसंबर, 2022 में बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस मिसाइल के एयर लॉन्च वर्जन का सफल परीक्षण किया था। एंटी-शिप वर्जन की यह मिसाइल 400 किलोमीटर तक के टारगेट को निशाना बना सकती है। वायु सेना ने इस मिसाइल का परीक्षण लड़ाकू विमान सुखोई-30 से किया था। टेस्ट के दौरान मिसाइल ने टारगेट की गई शिप को बीचो-बीच मारा था। डीआरडीओ ने स्वदेशी बूस्टर से इस मिसाइल प्रणाली की मारक क्षमता 290 किलोमीटर से बढ़ाकर करीब 450 किलोमीटर कर दी है।

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