अक्षय तृतीया अवसर पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुल गए. हर साल अक्षय तृतीया को ही धाम के कपाट खोले जाने की परंपरा है. कपाट दीपावली के दिन तक खुले रहते हैं. फिर इन्हें बंद कर दिया जाता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगोत्री धाम वहीं स्थान है, जहां धरती पर मां गंगा अवतरित हुई थीं. यहां पर मां गंगा का एक मंदिर है. यहां एक ऐसी चट्टान है जिसे शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है. यह साल में हर महीने नहीं दिखाई देती. ठंड के आरंभ में जब गंगा में पानी का स्तर नीचे जाता है केवल तभी इसके दर्शन होते हैं. इस जगह का भगवान राम से भी नाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम के पूर्वज राजा भागीरथ ने यहीं पर भगवान शिव की तपस्या की थी.
वही यमुनोत्री में देवी यमुना का मंदिर है. इसके आसपास गर्म पानी के कई स्त्रोत हैं, जो कई कुंडों में गिरते हैं. जो लोग यहां आते हैं वे यहां के गर्म पानी के कुंड में भोजन पकाते हैं और उसे देवी को चढ़ाते हैं. सबसे ज्यादा प्रसिद्ध सूर्य कुंड है, जहां का पानी काफी गर्म रहता है.