दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (National Population Register, NPR) के अपडेशन को मंजूरी दे दी गई. इसके साथ ही कैबिनेट ने इस प्रक्रिया के लिए 8,700 करोड़ रुपये के बजट आवंटन को भी मंजूरी दे दी. एनपीआर के तहत देश भर के नागरिकों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा. यहां बता देना जरूरी है कि एनपीआर डेटाबेस नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा.
सरकारी योजनाओं को लागू करने में होगा इस्तेमाल
बता दें कि एनपीआर डेटाबेस का इस्तेमाल सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए करती है. साल 2021 की जनगणना से पहले 2020 में एनपीआर अपडेट किया जाना है. एनपीआर अपडेशन की प्रक्रिया 01 अप्रैल 2020 से शुरू होने वाली है. असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह अभियान 2020 में अप्रैल से सितंबर तक चलेगा. इस बाबत सरकारी अधिसूचना अगस्त में जारी की गई थी. इससे पहले 2011 की जनगणना से पहले 2010 में भी इसको अपडेट किया गया था.
क्या है एनपीआर
रजिस्ट्रार जनरल एवं जनगणना आयुक्त की आधिकारिक वेबसाइट में जारी सूचना के मुताबिक, अब जनगणना-2021 के लिए घरों की सूची तैयार करने के चरण के साथ ही एनपीआर को अपडेट करने का फैसला किया गया है. एनपीआर में सामान्य नागरिकों की गणना की जाती है जो किसी जगह पिछले छह महीने या उससे अधिक समय से रह रहे हों. इस डेटा में व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होंगी.ये सूचनाएं लोगों द्वारा खुद दी गई जानकारी पर आधारित होंगी.इसमें बाहरी व्यक्ति भी जानकारी दर्ज होगी.