लोकमंथन जैसे कार्यक्रमों से देश की संस्कृति व परंपराएं होंगी सुदृढ़ः राष्ट्रपति

लोकमंथन जैसे कार्यक्रमों से देश की संस्कृति व परंपराएं होंगी सुदृढ़ः राष्ट्रपति

हैदराबाद, 22 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को कहा कि लोकमंथन जैसे कार्यक्रमों से देश की संस्कृति एवं परंपराएं सुदृढ़ होंगी। इसकी दिशा में यह एक बेहतरीन कार्यक्रम है। भारत की सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध रही है। देश की संस्कृति और परंपराओं में विविधता में एकता के दर्शन होते हैं।

हैदराबाद के शिल्पकला वेदिका में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं सांस्कृतिक महोत्सव ‘लोकमंथन-2024’ के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में भाग लेते हुए गर्व महसूस हो रहा है। मुर्मु ने कहा कि वर्ष 2018 में रांची में आयोजित लोकमंथन में वे शामिल हुई थीं और आज एक बार फिर लोकमंथन में शामिल होने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि यही हमारी ताकत है, यही हमारी स्थिरता है। एक ही स्थान पर इतनी सारी विभिन्न संस्कृतियों का होना वास्तव में बहुत सुंदर है। हमारा देश इन सभी चीजों से एक खूबसूरत इंद्रधनुष की तरह है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम सभी भारतीय हैं, चाहे हम ग्रामीण हों या शहरवासी।

राष्ट्रपति मुर्मु ने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि लोकमंथन में अहिल्याबाई होल्कर, रानी रुद्रमादेवी और रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाओं के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से जुड़ी प्रस्तुतियां भी दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि यह सराहनीय है कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का विदेशों में पालन किया जा रहा है। वह इंडोनेशिया सहित विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों की हृदय से सराहना करती हैं जो इस मंच के माध्यम से अपनी संस्कृति का प्रदर्शन कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत की आध्यात्मिक अवधारणाओं, कला, संगीत, शिक्षा और चिकित्सा पद्धतियों ने दुनिया भर में सम्मान अर्जित किया है। कहते हैं हमने दुनिया को ज्ञान दिया है। वर्तमान समय में भारत के ज्ञान को पुनः पूरे विश्व में फैलाने की आवश्यकता है। विदेशी शक्तियों ने सदियों तक हम पर अत्याचार किया है। हमारी संस्कृति, भाषा, परंपराओं और रीति-रिवाजों को नष्ट कर दिया। हमारी एकता को नुकसान पहुंचाने का काम किया है। ऐसा कहा जाता है कि हमारे अंदर गुलामी की जड़ें पैदा कर दी गई हैं लेकिन हमारे देशवासियों ने संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखा है। इन्हें जारी रखने की जरूरत है।

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत गुलामी की जड़ों को हटाने का प्रयास कर रहा है। राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ हो गया है। दरबार हॉल का नाम बदलकर गणतंत्र मंडप कर दिया गया है। यह गुलामी के विचारों को दूर करने की दिशा में एक प्रयास है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी सोच भी बदलनी चाहिए, तभी हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। एकता और सद्भावना ही हमारी सभ्यता है, हमारा भविष्य है। आइये हम सब मिलकर इस दिशा में काम करें। इस उद्घाटन कार्यक्रम के बाद राष्ट्रपति मुर्मू सीधे बेगमपेट हवाई अड्डे पर पहुंची और दिल्ली के लिए विशेष वमान से रवाना हो गईं।

21 से 24 नवंबर तक चलने वाले लोकमंथन कार्यक्रम की थीम ‘लोक अवलोकन, लोक विचार, लोक व्यवहार और लोक व्यवस्था’ है। लोकमंथन राष्ट्रवादी विचारकों और कार्यकर्ताओं की राष्ट्रीय संगोष्ठी है। केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी लोकमंथन की स्वागत समिति के अध्यक्ष हैं और इसे प्रज्ञा प्रवाह आयोजित कर रहा है जिसके संयोजक जे. नंदकुमार हैं।

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