भारत ने हासिल की एयर-टु-एयर मिसाइलों की मारक दूरी बढ़ाने की तकनीक

भारत ने हासिल की एयर-टु-एयर मिसाइलों की मारक दूरी बढ़ाने की तकनीक

– लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल विकसित करने में मिलेगी मदद

नई दिल्ली, 13 दिसंबर (हि.स.)। भारत ने अब हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की मारक दूरी बढ़ाने की तकनीक हासिल कर ली है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने शुक्रवार को ओडिशा तट पर चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) में सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (एसएफडीआर) का अंतिम परीक्षण किया, जो पूरी तरह सफल रहा है। स्वदेशी रूप से विकसित यह तकनीक भारत को लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल विकसित करने में मदद करेगी।

डीआरडीओ के मुताबिक सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (एसएफडीआर) प्रणोदन आधारित मिसाइल प्रणाली का अंतिम प्रायोगिक परीक्षण सफल रहा है। ओडिशा तट पर चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से किये गए परीक्षण में इस्तेमाल की गई जटिल मिसाइल प्रणाली ने सफलतापूर्वक प्रदर्शन करके मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा किया। आईटीआर में तैनात टेलीमेट्री, रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम जैसे कई रेंज इंस्ट्रूमेंट्स ने इस प्रणाली के सफल प्रदर्शन को पुष्ट किया। एसएफडीआर को हैदराबाद की रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला ने डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं जैसे हैदराबाद की अनुसंधान केंद्र इमारत और पुणे की उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला के सहयोग से विकसित किया गया है।

एसएफडीआर का विकास 2013 में शुरू हुआ और वास्तविक प्रदर्शन शुरू करने के लिए पांच साल की समय सीमा तय की गई। मिसाइल का ग्राउंड आधारित परीक्षण 2017 में शुरू हुआ था। सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट का पहला परीक्षण 30 मई, 2018 को किया गया था। इस परीक्षण के जरिये भारत ने पहली बार नोजल-कम बूस्टर का प्रदर्शन किया। दूसरा परीक्षण 8 फरवरी, 2019 को हुआ, जिसमें मिसाइल ने लक्ष्य के मुताबिक वांछित गति से आखिरकार जमीन को छू लिया। इसके बाद 08 अप्रैल, 2022 को हुए बूस्टर तकनीक का सफल परीक्षण किया गया। अब अंतिम परीक्षण में भारत ने एयर-टु-एयर मिसाइलों की मारक दूरी बढ़ाने की तकनीक हासिल कर ली है।

रक्षा वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भारत लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करने वाला पहला देश है, जो ध्वनि की गति से आठ गुना अधिक गति से यात्रा कर सकती है और वैश्विक रक्षा प्रौद्योगिकी में एक गेम-चेंजर है, जो किसी अन्य देश के पास नहीं है। डीआरडीओ ने हाल ही में देश की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया, जो लगभग 3 किमी प्रति सेकंड की गति से 1,500 किमी से अधिक दूरी तक पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जा सकती है। भारत के पास अब हाइपरसोनिक मिसाइल है, जो गति, सीमा, सटीकता और पता लगाने की क्षमता के मामले में गेम-चेंजर है, जिससे सशस्त्र बलों को बढ़त हासिल होगी।

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