स्वास्थ्य संसद 2023: मीडिया का स्थान समाज में पुरोहित की भांति होता है: ज्ञानेश्वरी दीदी

स्वास्थ्य संसद 2023: मीडिया का स्थान समाज में पुरोहित की भांति होता है: ज्ञानेश्वरी दीदी

रिपोर्ट : कुलदीप तिवारी और अभिनंदन द्विवेदी

भोपाल: स्वस्थ भारत (न्यास) के 8वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय स्वास्थ्य संसद – 2023 का आयोजन भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्विद्यालय के बिशनखेड़ी परिसर में हुआ। कार्यक्रम के पहले सत्र का विषय ”अमृत काल में भारत का स्वास्थ्य और मीडिया की भूमिका” था। कार्यक्रम में सभापति का दायित्व माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० के जी सुरेश ने निभाया, तो वहीं मध्यप्रदेश पुलिस के पूर्व महानिदेशक ‘एस के रावत’ उपसभापति के रूप में उपस्थिति थे। उद्घाटन सत्र में संस्थागत चर्चा के लिए स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न संस्थाओं से आये अतिथियों ने मुख्य विषय पर अपनी बातें रखीं।

भारत के कोने – कोने तक स्वास्थ्य अभियान को पहुँचने के लिए हम कृत संकल्पित: आशुतोष

पद्म श्री रामबहादुर राय का ज़िक्र करते हुए स्वस्थ भारत (न्यास) के अध्यक्ष ‘आशुतोष सिंह’ ने कहा कि हम भारत के लोग मिलकर भारत के लोगों के लिए स्वास्थ्य जागरूकता का जनहितैषी कार्य कर रहें हैं। आशुतोष ने आगे कहा कि स्वस्थ भारत (न्यास) के 7वें आयोजन के दौरान प्रो के जी सुरेश से मुलाकात का ही सुखद परिणाम रहा जिसके स्वरूप में 8वां संस्करण हम भोपाल में आयोजित कर पा रहें हैं।

मीडिया का स्थान समाज में पुरोहित की भांति होता है, भारत को जानना है तो भारत की यात्रा करनी चाहिए : स्वामी ज्ञानेश्वरी दीदी
‘विराट हॉस्पिस’ की संस्थापिका ‘ज्ञानेश्वर दीदी’ ने बताया कि हमारे पूज्य गुरु जी ‘ब्रम्हर्षि बावरा जी महाराज’ सदैव कहा करते थे कि मीडिया का स्थान समाज में पुरोहित की भांति होता है। जैसे पुरोहित को अपनी गणना में सटीक रहना होता है उसी प्रकार मीडिया को भी अपने तथ्यों को दुरुस्त रखना चाहिए, क्योंकि मीडिया समाज को व्हाइट दिखाएगा तो समाज व्हाइट देखेगा, ब्लैक दिखाएगा तो ब्लैक देखेगा। भारत का स्वास्थ्य और मीडिया की भूमिका पर आगे ‘ज्ञानेश्वरी दीदी’ ने कहा कि देश मे 11 ‘हॉस्पिस’ हैं। दरअसल ‘हॉस्पिस’ वह स्थान होता है जहाँ किसी भी रोग से ग्रसित वैसे मरीज जो अपनी बीमारी से जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुँच जाते हैं, उस स्थिति में जब घर वाले इलाज कराने के काबिल नहीं रह पाते और डॉक्टर मरीज को घर ले जाने की सलाह देते हैं। वैसे समय में ‘हॉस्पिस’ उन मरीजो को शरण देता है।

दीदी आगे बताती हैं कि जब हम जीवन के दिन नहीं बढ़ा सकते, तब हम दिनों को जीवन में बढ़ा सकते हैं। दीदी आगे बताती हैं की ये देश का दुर्भाग्य ही है जो सज्जन सब्जी में कैंसर होने की दवा डालते हैं वही सज्जन कैंसर से ग्रसित मरीजों के उपचार के लिए अस्पताल को चन्दा देने का काम भी करते हैं। देश की ऐसी जटिलतम समस्याओं पर मीडिया को ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

एक दूसरे सदर्भ का उदाहरण देते हुए दीदी बताती हैं कि कुछ ऐसे लोग हैं जो जानवरों को ऑक्सीटोसीन इंजेक्शन लगा कर उनका दूध निकालते हैं और दूध का व्यापार करते हैं। ऐसे मुद्दों पर मीडिया को अध्ययन करना चाहिए और लोगों को जागरुक करना चाहिए।

विज्ञान से जुड़े विषयों को प्रमुखता से दिखाए मीडिया: मनोज पटेरिया
दूरदर्शन के किसान टीवी चैनल की शुरुआत करने वाले, साथ ही प्रसिद्ध विज्ञान संचारक ‘मनोज पटेरिया’ ने बताया कि व्यक्ति को 80 प्रतिशत से ज्यादा बिमारियां शुद्ध पानी नहीं मिलने से होती हैं। इन चीजों को जागरूकता से रोका जा सकता है जिसे मीडिया नहीं दिखाता है। आर ओ वाटर से तरह तरह की समस्या उतपन हो रही है। कई रिपोर्ट में ऐसा पाया गया है कि आर ओ का पानी पीने से छाले पड़ जाते हैं। साथ ही ‘मनोज पटेरिया’ ने मेडिकल टेररिस्ट जैसी व्यवस्था का भी ज़िक्र किया।

समाज से ड्रग्स को खत्म करने में मीडिया दे विशेष योगदान: एस के रावत
1987 का एक किस्सा याद करते हुए एस के रावत ने बताया कि जब मैं इंदौर में एसपी के पद पर कार्यरत था, उस दौरान एक सराफा व्यापारी ने मेरे सामने अपने बेटे को मारने की इक्छा जाहिर की। कारण पूछने पर व्यापारी ने बताया कि मेरा लड़का ड्रग्स का सेवन करता है और मुझे, मेरी पत्नी को मारता पिटता है। ऐसे कई और घटनाओं को बताते हुए एस के रावत ने ड्रग्स की ओर मीडिया का ध्यान आकर्षित कराने की चेष्ठा कि।

हनीमून पर भारत भ्रमण कर लोगों को स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना सराहनीय कदम: प्रो० के जी सुरेश
स्वास्थ भारत (न्याय) के अध्यक्ष ‘आशुतोष’ और उनकी पत्नी प्रियंका का ज़िक्र करते हुए कुलपति ने कहा कि जहाँ आज के युग में शादी के बाद नवदम्पति हनीमून पर स्विट्जरलैंड व मंसूरी जाते हैं वहीं प्रियंका और आशुतोष ने भारत का गाँव घूम कर स्वास्थ्य जागरूकता फैलाने का निर्णय लिया।

आगे प्रो० के जी सुरेश ने कहा कि संपादकों द्वारा राजनीति, अर्थनीति, समाजिक, संस्कृतिक, धार्मिक आदि विषयों पर बहुत ज्यादा लिखा जा रहा है, जो लिखा भी जाना चाहिए, लेकिन स्वास्थ्य और शिक्षा पर बहुत कम लिखा जा रहा है। जो समाज के लिए ना काफी साबित हो रहा है।

कुलपति ने कहा कि 142 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में 11 ‘हॉस्पाइस केयर’ होना चिंता का विषय है। साथ ही उन्होंने बताया कि यह प्रदेश के लिए सौभाग्य का विषय है कि मेडिकल की पढाई हिंदी में शुरू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है।

 

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