उपेक्षा और पिछड़ेपन का दंश झेलते उत्तर बिहार का संकल्प’ पुस्तक का हुआ विमोचन

उपेक्षा और पिछड़ेपन का दंश झेलते उत्तर बिहार का संकल्प’ पुस्तक का हुआ विमोचन

New Delhi: उत्तर बिहार की स्थिति को लेकर शुक्रवार को राजधानी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में ‘उपेक्षा और पिछड़ेपन का दंश झेलते उत्तर बिहार का संकल्प’ नामक पुस्तक का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव, पूर्व सांसद संदीप दीक्षित एवं अरुण कुमार, पूर्व विधान पार्षद शिव प्रसन्न यादव एवं अनेक पूर्व विधायक, चिंतकों के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर अनिल मिश्र, राजनीतिक व सामाजिक सरोकारों से संबंध रखने वाले अनेक लोग मौजूद थे।

डॉक्टर शंभु शरण श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक “उपेक्षा और पिछड़ेपन का दंश झेलते उत्तर बिहार का संकल्प ” में शिखर शैक्षिक संस्थानों की स्थापना, उन्नत कृषि और मत्स्य पालन, पशुपालन के लिए विकसित राज्यों की तर्ज़ पर वैज्ञानिक व्यवस्था को अपनाए जाने, रोजी रोटी की तलाश में लगातर पलायन होते श्रमिक और बाढ़ से बचाव की स्थाई व्यवस्था को अपनाए जाने, रोजी रोटी की तलाश मे लगातर पलायन होते श्रमिक और बाढ़ से बचाव की स्थाई व्यवस्था करने की बात कही गई है।

बिहार विधान परिषद् के सदस्य रहे डाक्टर शंभु शरण श्रीवास्तव ने राज्य की सत्ता पर उत्तर बिहार की घोर उपेक्षा और विकास को लेकर अनेक प्रमाणिक आरोप लगाते हुए सरकार के नेताओं को इसके लिए जिम्मेवार ठहराया है। किताब में सभी दलों की पूर्व की सरकारों को भी उत्तर बिहार के साथ अनदेखी और भेदभाव के लिए जिम्मेवार ठहराया है।

दिल्ली की मीडिया प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस किताब में डाक्टर शंभु ने देश और राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा है कि उत्तर बिहार के तीन प्रमुख जिले मधेपुरा, सुपौल और शिवहर देश के नक्शे में सर्वाधिक गरीब व आर्थिक तौर पर कमजोर है।

किताब में बिहार के मुख्यमंत्री, मंत्रियों, आला नौकरशाहों तथा विधायकों आदि के आवास को नई उत्तर बिहार स्थित राजधानी नई राजधानी मे स्थांतरित करने की वकालत की गई है। किताब में कहा गया है कि ऐसा करने से क्षेत्रीय विकास की गति तेज होगी, क्षेत्रीय संतुलन बनाने में मदद मिलेगी। सरकार और जनता के बीच की दूरी कम होने के साथ रोजगार की संभावनाओं को बल मिल सकेगा। साथ ही उत्तर बिहार के साथ राजनीतिक भेद भाव और उपेक्षा की कलंक को बहुत हद तक मिटाया जा सकता है।

बंद पड़े चीनी मिलों को शुरू करने, परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त करने तथा हर साल आने वाले बाढ़ से निबटने के लिए स्थाई उपाय तलाशने का सुझाव दिया गया है। उत्तर बिहार को राजधानी से जोड़ने वाला महात्मा गांधी सेतु का निर्माण भी आजादी के 35 सालों के बाद हुआ। राजधानी को उत्तर बिहार से जोड़ने वाला रेल पुल आजादी के 69 साल बाद शुरू हुआ। बिहार मे उत्तर बिहार का इलाका देश की सबसे गरीब और पिछड़ा क्षेत्र के नक्शे में शुमार है।

डा शंभु शरण श्रीवास्तव की किताब में उत्तर बिहार के विकास की वकालत के साथ उसके लिए कुछ ठोस और व्यवहारिक सुझाव भी दिए हैं।

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