भिखारी ठाकुर के नाटक बिदेसिया का भोपाल में हुआ मंचन

भिखारी ठाकुर के नाटक बिदेसिया का भोपाल में हुआ मंचन

Bhopal/Chhapra: भोपाल के जनजातीय संग्रहालय में भिखारी ठाकुर रंगमंडल, छपरा के द्वारा बिदेसिया नाटक का मंचन हुआ.

जैनेन्द्र दोस्त द्वारा निदेशित यह नाटक भिखारी ठाकुर का सबसे प्रसिद्ध नाटक है जिसे उन्होंने अपने नाच दल के माध्यम से देश-दुनिया के समक्ष प्रस्तुत किया था. इस नाटक का मुख्य विषय विस्थापन है. इस नाटक में रोजी-रोटी की तलाश में विस्थापन, घर में अकेली औरत का दर्द, शहर में पुरुष का पराए औरत के प्रति मोह को दिखाया गया है. बिदेसिया कि कहानी में गाँव का एक युवक (बिदेसी) शादी के बाद अपनी नवब्याहता पत्नी (प्यारी सुंदरी) को छोड़ कर रोजी-रोटी के लिए कलकत्ता कमाने चला जाता है. कलकत्ता में बिदेसी एक रूपवती स्त्री रखेलिन के चक्कर में फँस जाता है तथा अपनी पत्नी प्यारी सुंदरी को भूल जाता है. उधर गाँव में प्यारी सुंदरी पति कि याद में रोती-कलपती रहती है तथा अपना दुख कलकता कमाने जा रहे बटोही को सुनाती है. बटोही उसे वचन देता है कि वो उसके पति तक उसका संदेश अवश्य ही पहुंचाएगा. बटोही कलकत्ता चला जाता है. इसी बीच गाँव का एक मनचला युवक देवर बन कर प्यारी सुंदरी से बलात्कार करने आता है. प्यारी सुंदरी दृढ़ता और साहस से उस नकली देवर का मुकाबला करती है. उधर कलकत्ता पहुँचने के बाद बटोही बिदेसी को खोज लेता है तथा उसे उसकी पत्नी प्यारी सुंदरी की स्थिति से अवगत कराता है. बिदेसी की चेतना लौटती है, वह घर लौटने का निश्चय करता है. रखेलिन इस निश्चय का विरोध करती है. रखेलिन बिदेसी को वापस न जाने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन देती है. अंततः बिदेसी वापस घर लौटता है. बिदेसी को वापस आया देख कर प्यारी सुंदरी के खुशी का ठिकाना नहीं रहता. उधर रखेलिन भी कलकत्ता से अपने दोनों बच्चों के साथ बिदेसी के गाँव पहुँचती है. बिदेसी इन्हे देख अचंभित होता है. हाँ-ना और अनुनय-विनय के बाद सभी हिलमिल कर गाँव में साथ रहने लगते हैं. मंगलकामना के साथ नाटक समाप्त होता है.

भिखारी ठाकुर के साथ काम कर चुके कलाकार अब काफी बुजुर्ग हो चले हैं तथा एक एक कर इस दुनिया को अलविदा कह रहे हैं. ऐसी स्थिति में रंगमंडल ने यह निर्णय लिया कि रंगमंडल प्रशिक्षण कार्यक्रम रख कर ग्रामीण युवाओं को भिखारी ठाकुर की रंग-परंपरा का प्रशिक्षण प्रदान करेगी. साथ ही साथ भिखारी ठाकुर से संबंधित विभिन्न प्रकार के अकादमिक एवं गैर-अकादमिक लेखनों को एकत्रित एवं प्रोत्साहित किया जाएगा. इस दल ने अब तक -विदेश के कई नाट्य-महोत्सवों में भागीदारी की है. इसी वर्ष दल के वरिष्ठ कलाकार रामचंद्र माँझी जी को वर्ष 2017 के संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार से नवाज़ा गया है.

नाटक के पात्र रामचंद्र मांझी – रखेलिन, शिवलाल बारी – बटोही, लखिचन्द मांझी – प्यारी सुंदरी, शंकर राम – बिदेसी, रघु पासवान – लबार, जगदीश राम – पड़ोसी औरत, जलेश्वर माली – हारमोनियम, भरत ठाकुर – ढ़ोलक, रकजकुमार – झाल, जैनेन्द्र दोस्त – गोपी जंतर, श्रीराम – तबला, रामचंद्र मांझी छोटे – समाजी गायक, रसीद मियां – समाजी गायन, विजय राम समाजी गायन, प्रियंका कुमारी – वस्त्र सज्जा, रंजीत कुमार राम – मंच व्यवस्था, निर्देशन – जैनेन्द्र दोस्त.

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