‘जन औषधि दिवस’ समारोह में पीएम मोदी बोले- ‘भारत दुनिया की फार्मेसी है, ये सिद्ध हो चुका’

‘जन औषधि दिवस’ समारोह में पीएम मोदी बोले- ‘भारत दुनिया की फार्मेसी है, ये सिद्ध हो चुका’

New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह ‘जनऔषधि दिवस’ समारोह को संबोधित किया। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने शिलॉन्ग स्थित नॉर्थ-ईस्टर्न इंदिरा गांधी रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंस में बने 7500वें ‘जनऔषधि केंद्र’ को भी राष्ट्र को समर्पित किया।

इस दौरान पीएम मोदी ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से भारतीय जनऔषधि परियोजना के लाभार्थियों से बातचीत की और हितधारकों को उनके अच्छे कार्यों के लिए सम्मानित भी किया। इस अवसर पर केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा, राज्य मंत्री मनसुख मांडविया, अनुराग ठाकुर, , हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा, गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन भाई पटेल मौजूद रहे।

गौरतलब हो जनऔषधि केंद्रों के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानकारी देने के लिए 1 मार्च से 7 मार्च तक जनऔषधि सप्ताह मनाया जा रहा है। इसके लिए ‘जन औषधि – सेवा भी, रोजगार भी’ का नारा दिया गया है। आज सप्ताह के आखिरी दिन यानी 7 मार्च को जन औषधि दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।

जन औषधि दिवस सप्ताह- 2021 पूरे देश में 7400 से अधिक प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों के माध्यम से मनाया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य किफायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उपलब्ध कराना है। इस परियोजना के तहत ऐसे केंद्रों की संख्या 7499 पहुंच गई है। यह केंद्र देश के सभी जिलों में हैं। वित्त वर्ष 2020-21 (4 मार्च 2021 तक) में बिक्री से आम नागरिकों के करीब 3600 करोड़ रुपए की बचत हुई है क्योंकि ये दवाएं बाजार दरों के मुकाबले 50 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक सस्ती हैं।

इस अवसर पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा, जनऔषधि चिकित्सक, जनऔषधि ज्योति और जनऔषधि सारथी ये तीन प्रकार के महत्वपूर्ण अवॉर्ड प्राप्त करने वाले सभी साथियों को बधाई देता हूं। जनऔषधि योजना को देश के कोने-कोने में चलाने वाले और इसके कुछ लाभार्थियों से आज मुझे बातचीत करने का अवसर मिला और जो चर्चा हुई है उसमें स्पष्ट है कि यह योजना गरीब और विशेषकर मध्यमवर्गीय परिवारों की बहुत बड़ी साथी बन रही है। यह योजना सेवा और रोजगार दोनों का माध्यम बन रही है।

जनऔषधि केंद्रों में सस्ती दवाई के साथ-साथ युवाओं को मिला आय का साधन

जनऔषधि केंद्रों में सस्ती दवाई के साथ-साथ युवाओं को आय के साधन भी मिल रहे हैं। विशेषरूप से हमारी बहनों-बेटियों को जब सिर्फ ढाई रुपए में सेनेटरी पैड उपलब्ध कराए जाते हैं तो इससे उनके स्वास्थ्य व उस पर एक सकारात्मक असर पड़ता है। अब तक 11 करोड़ से ज्यादा सेनेटरी नैपकिन इन केंद्रों पर बिक चुके हैं। इसी तरह जनऔषधि जननी अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी पोषण और सप्लीमेंट भी जनऔषधि केंद्रों पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं 1000 से ज्यादा जनऔषधि केंद्र तो ऐसे हैं जिन्हें महिलाएं ही चला रही है। यानी जनऔषधि योजना बेटियों की आत्मनिर्भरता को भी बल दे रही है। इस योजना से पहाड़ी क्षेत्रों में नॉर्थ-ईस्ट में जनजातिय क्षेत्रों में रहने वाले देशवासियों तक सस्ती दवा देने में भी मदद मिल रही है। आज भी जब 7500वें केंद्र का लोकार्पण किया गया है तो वो शिलॉन्ग में हुआ है।इससे स्पष्ट है कि नॉर्थ ईस्ट में जनऔषधि केंद्रों का कितना विस्तार हो रहा है।

6 साल पहले तक देश में 100 जनऔषधि केंद्र भी नहीं थे, आज 7500 के पड़ाव पर

पीएम ने कहा, 7500 के पड़ाव तक पहुंचना इसलिए भी अहम है क्योंकि 6 साल पहले तक देश में ऐसे 100 केंद्र भी नहीं थे। हम हो सके तो उतना ही तेजी से 10 हजार का टारगेट पार करना चाहते हैं। मैं आज राज्य सरकारों से, विभाग के लोगों से एक आग्रह करूंगा आजादी के 75 साल हमारे सामने महत्वपूर्ण अवसर है, क्या हम ये तय कर सकते हैं कि देश के कम से कम 75 जिले ऐसे होंगे जहां पर 75 से ज्यादा जनऔषधि केंद्र होंगे और वो हम आने वाले कुछ ही समय में कर देंगे। इसी प्रकार से उसका लाभ लेने वालों की संख्या का भी लक्ष्य तय करना चाहिए। अब एक भी जनऔषधि केंद्र ऐसा न हो जिसमें आज जितने लोग आते हैं उसकी संख्या दोगुनी-तिगुनी न हो। इन दो चीजों को लेकर हमें काम करना चाहिए। ये काम जितना जल्दी होगा देश के गरीबों को उतना ही लाभ होगा। ये जनऔषधि केंद्र हर साल गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लगभग 3600 करोड़ रुपए बचा रहे हैं। ये रकम छोटी नहीं है जो पहले महंगी दवाओं में खर्च हो जाते थे। यानी अभी इन परिवारों के 3600 करोड़ रुपए परिवार के अच्छे कामों के लिए और अधिक उपयोगी होने लगे हैं।

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