SALMAN KHAN: सलमान खान अपनी आगामी फिल्म में महावीर चक्र से सम्मानित कर्नल बिकुमल्ला संतोष बाबू का किरदार निभाने जा रहे हैं।
सलमान खान अपनी आगामी फिल्म में महावीर चक्र से सम्मानित कर्नल बिकुमल्ला संतोष बाबू का किरदार निभाने जा रहे हैं। यह फिल्म 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प पर आधारित है, जिसमें कर्नल बाबू को वीरगति प्राप्त हुई थी।
फिल्म की कहानी और प्रेरणा
यह फिल्म शिव अरोर और राहुल सिंह द्वारा लिखित पुस्तक India’s Most Fearless 3 के पहले अध्याय “I Had Never Seen Such Fierce Fighting – The Galwan Clash of June 2020” पर आधारित है। इस अध्याय में गलवान संघर्ष की प्रत्यक्ष घटनाओं का वर्णन किया गया है।
फिल्म के निर्देशन और निर्माण
फिल्म का निर्देशन अपूर्वा लाखिया कर रहे हैं, जो Shootout at Lokhandwala और Mission Istaanbul जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। स्क्रिप्ट सुरेश नायर, चिंतन गांधी और चिंतन शाह ने मिलकर लिखी है, जिसमें चिंतन शाह ने संवाद भी लिखे हैं।
फिल्म की शूटिंग और तैयारी
फिल्म की शूटिंग जुलाई 2025 में शुरू होगी, जिसमें लद्दाख और मुंबई के विभिन्न स्थानों पर 70 दिनों का शेड्यूल तय किया गया है।
कर्नल बिकुमल्ला संतोष बाबू का परिचय :
कर्नल बिकुमल्ला संतोष बाबू भारतीय सेना के एक साहसी और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी थे, जिन्होंने 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारत की संप्रभुता की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। वे 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में तैनात थे और उनका बलिदान देश के सैन्य इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज है।
प्रारंभिक जीवन और सैन्य पृष्ठभूमि:
कर्नल संतोष बाबू का जन्म तेलंगाना राज्य के सूर्यापेट ज़िले में हुआ था। वे एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते थे और बचपन से ही अनुशासन, परिश्रम और देशभक्ति की भावना उनमें गहराई से रची-बसी थी। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) से सैन्य शिक्षा प्राप्त की और तत्पश्चात भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) से स्नातक होकर सेना में शामिल हुए।उनकी नेतृत्व क्षमता, रणनीतिक सोच और साहस के कारण उन्हें जल्दी ही उच्च पदों की जिम्मेदारियां सौंपी गईं। वे विभिन्न सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात रहे और हर बार उन्होंने अद्भुत साहस और निष्ठा का परिचय दिया।
गलवान घाटी संघर्ष (2020):
15 जून 2020 की रात को लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ एक हिंसक संघर्ष हुआ। यह संघर्ष उस समय हुआ जब भारतीय सेना द्वारा सीमा पर स्थिति को शांतिपूर्ण बनाए रखने की कोशिश की जा रही थी। उस टकराव में कर्नल संतोष बाबू ने अग्रिम पंक्ति में रहकर न केवल अपनी टुकड़ी का नेतृत्व किया, बल्कि दुश्मन के खिलाफ वीरता से लड़ते हुए शहीद हो गए। उनकी बहादुरी ने न केवल उनके साथी सैनिकों को प्रेरित किया, बल्कि पूरे देश को गर्व से भर दिया।
सम्मान और विरासत:
भारत सरकार ने कर्नल बिकुमल्ला संतोष बाबू को उनकी असाधारण वीरता और बलिदान के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया. यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा युद्धकालीन वीरता पुरस्कार है।उनकी शहादत ने देश में एक नई देशभक्ति की भावना को जन्म दिया। आज भी वे युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों को साहस और कर्तव्यपरायणता की शिक्षा देती है।