बर्थडे स्पेशल 6 अक्टूबर: ऐसा था विनोद खन्ना का सुपरस्टार से राजनेता बनने तक का सफर

बर्थडे स्पेशल 6 अक्टूबर: ऐसा था विनोद खन्ना का सुपरस्टार से राजनेता बनने तक का सफर

लाखों दिलों पर राज करने वाले दिवंगत अभिनेता विनोद खन्ना आज बेशक हमारे बीच नही हैं, लेकिन आज भी दर्शक उन्हें उनके शानदार अभिनय के लिए याद करते हैं। 6 अक्टूबर 1946 को जन्में विनोद खन्ना एक उद्यमी परिवार से संबंध रखते थे। उनके परिवार के किसी भी सदस्य का अभिनय जगत से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। ऐसे में बॉलीवुड में उनके लिए पैर जमाना आसान नहीं था। उच्च शिक्षा की पढ़ाई के दौरान विनोद का झुकाव फिल्मों की तरफ हुआ और उन्होंने फिल्मों में अभिनय करने का मन बना लिया। विनोद खन्ना ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1968 में आई सुनील दत्त निर्मित फिल्म मन का मीत से की। इस फिल्म में विनोद खन्ना ने विलेन की भूमिका निभाई थी। इसके बाद विनोद खन्ना ने आन मिलो सजना, पूरब और पश्चिम, सच्चा झूठा, मेरा गांव मेरा देश, मस्ताना जैसी फिल्मों में सहायक या खलनायक के रूप में काम किया। विनोद खन्ना की गिनती उन अभिनेताओं में होती है, जिन्होंने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत खलनायक के रूप में की, लेकिन जल्द ही फिल्म जगत में अपने शानदार अभिनय की बदौलत मशहूर नायक के रूप में स्थापित हुए।

साल 1971 में आई फिल्म हम तुम और वो में विनोद को लीड रोल में काम करने का मौका मिला। इसी साल विनोद खन्ना ने गीतांजलि से शादी कर ली। इनके दो बच्चे हुए अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना, जोकि अभिनेता हैं। इस दौरान विनोद ने कई मुख्य भूमिका और मल्टी स्टारर फिल्मों में अभिनय किया जिनमें मैं तुलसी तेरे आंगन की, जेल यात्रा, ताकत, दौलत, हेरा-फेरी, अमर अकबर एंथनी, द बर्निंग ट्रेन, खून-पसीना आदि शामिल हैं। एक समय ऐसा था जब विनोद की गिनती बॉलीवुड के सबसे टॉप अभिनेताओं में होने लगी थी, लेकिन अचानक उन्होंने बॉलीवुड से संन्यास ले लिया और आध्यात्मिक गुरु ओशो की शरण में जाकर रहने लगे। इस कारण 1985 में गीतांजलि से उनका तलाक हो गया।1987 में विनोद ने संन्यास छोड़कर बॉलीवुड में फिल्म इन्साफ से कमबैक किया। विनोद ने 1990 में दूसरी शादी कविता से कर ली। विनोद और कविता के दो बच्चे बेटा साक्षी खन्ना और बेटी श्रद्धा है। साल 1997 में विनोद ने राजनीति में कदम रखा और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने पंजाब में गुरदासपुर सीट से चुनाव लड़कर जीत हासिल की। साल 2002 में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें संस्कृति और पर्यटन मंत्री बना दिया था। 2017 में कैंसर से विनोद खन्ना का निधन हो गया था। विनोद आज नहीं हैं लेकिन अपनी बेहतरीन अदाकारी और जनसेवा की बदौलत वह हमेशा दर्शकों के दिलों में जीवित रहेंगे।

0Shares

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें