नवनियुक्त शिक्षकों को पीएचडी करने की अनुमति दे विश्वविद्यालय: डॉ रणजीत

नवनियुक्त शिक्षकों को पीएचडी करने की अनुमति दे विश्वविद्यालय: डॉ रणजीत

Chhapra: जयप्रकाश विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर शिक्षक संघ के सचिव डॉ रणजीत कुमार ने राज्यपाल सह कुलाधिपति, राजभवन, पटना को ईमेल से पत्र भेजकर जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा में बिहार लोकसेवा आयोग द्वारा नियुक्त सहायक प्राध्यापकों को पी-एच.डी उपाधि प्राप्त करने हेतु शोध कार्य करने की अनुमति देने का आग्रह किया है।

डॉ कुमार ने लिखा है कि बिहार लोकसेवा आयोग के माध्यम से जयप्रकाश विश्वविद्यालय में भी विभिन्न विषयों में सैकड़ों शिक्षकों की नियुक्ति हुई है जिनमें दर्जनों शिक्षक जे.आर.एफ.एवम नेट उत्तीर्णता के आधार पर चयनित होकर विभिन्न विभागों एवम महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।

ऐसे शिक्षक सेवा में योगदान के बाद से भी शोध कार्य के माध्यम से पी-एच.डी उपाधि प्राप्त करने हेतु छः माह के कोर्स वर्क में नामांकन हेतु प्रयासरत हैं।पूर्व कुलपति प्रो हरिकेश सिंह के समय 2018 में ऐसे शिक्षकों को कोर्स वर्क में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई।

विदित हो कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय में 2017 के बाद शोध कार्य करने हेतु कोई पी.आर .टी टेस्ट आयोजित नहीं किया गया है जबकि नियमानुसार प्रत्येक वर्ष इस तरह का टेस्ट आयोजित किया जाना चाहिए।विश्वविद्यालय में विभिन्न विषयों के दर्जनों शिक्षकों को पी-एच.डी उपाधि प्राप्त करने हेतु शोध कार्य करने की अनुमति एवम अवसर नहीं मिलने से उनका एकेडेमिक कैरियर एवम वरीयता दोनों प्रभावित हो रहा है।

सहायक प्राध्यापक से एसोसिएट प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति हेतु भी पी-एच.डी की उपाधि अनिवार्य है।गौरतलब है कि बिहार के तमाम विश्वविद्यालयो ने अपने नवनियुक्त शिक्षकों को पी-एच.डी उपाधि हासिल करने हेतु विशेष व्यवस्था कर शोध कार्य हेतु अवसर उपलब्ध कराया है।

अन्य विश्वविद्यालयो द्वारा अपनायी गई प्रक्रिया का हवाला देकर शोध कार्य हेतु इच्छुक शिक्षकों का शिष्टमंडल कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन से मिलकर लिखित एवम मौखिक रूप से अनुरोध किया कि जरूरतमंद शिक्षकों को शोध कार्य करने की अनुमति दी जाय लेकिन आज तक उसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला जिससे पी-एच.डी करने के इच्छुक शिक्षक परेशान और हताश हैं।

विदित हो कि दूसरे विश्वविद्यालय से पी-एच.डी करने में इन शिक्षकों को छः माह का अवैतनिक अवकाश लेना होगा जिससे इन शिक्षकों का भारी आर्थिक नुकसान होगा।विगत चार वर्ष से पी.आर.टी परीक्षा आयोजित नहीं होने से विश्वविद्यालय में एक तरह से शोध कार्य ठप्प ही है।डॉ कुमार ने शिक्षक हित में कुलाधिपति एवम कुलपति दोनों से निवेदन किया है कि इस मुद्दे पर तत्काल सकारात्मक निर्णय लिया जाए।

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