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जेपीयू हिन्दी विभाग द्वारा एक दिवसीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

Chhapra: ज्ञान की वह शाखा जो सबका कल्याण करे, वही साहित्य है. उपर्युक्त बातें रांची विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. जंग बहादुर पाण्डेय ने मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए बताया.

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में साहित्य की प्रयोजनीयता पर बोलते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि ‘यदि जीवन में आपको अदब आ गया तो समझिए आप सब पा गए. अदबयुक्त व्यक्ति समाज में सदा श्रेष्ठ माना जाता है और यह अदब साहित्य से प्राप्त होता है. यही है साहित्य की प्रयोजनीयता. साहित्य की प्रयोजनीयता हर किसी को जोड़ना है न कि तोड़ना. साहित्य कहता है कि अगर कोई आपका आदर करे तो आप प्रतियुत्तर में दोनों हाथ जोड़कर सामने वाले का दिल जीत लेना चाहिए.

हिन्दी विभाग, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा की ओर से सीनेट हॉल में ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में साहित्य की प्रयोजनीयता’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. अजय कुमार के संयोजन में आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. फ़ारुक़ अली ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि ‘आज साहित्य की प्रयोजनीयता घट गई है क्योंकि आज के साहित्यकार समाज से कटे हुए हैं। वातानुकूलित कमरे में बैठकर कल्पना करने वाले साहित्यकार समाज का यथार्थ साहित्य में किस रूप में पिरो रहे हैं हम सब देख रहे हैं.’ साहित्य की प्रयोजनीयता पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कुलपति ने चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी ‘उसने कहा था’ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता ‘भिक्षुक’ एवं विलियम शेक्सपियर का नाटक ‘मर्चेंट ऑफ वेनिस’ के माध्यम से साहित्यिक संवेदना को स्पष्ट किया.

संगोष्ठी की शुरुआत भारतरत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण के तैलचित्र पर मंचासीन अतिथियों द्वारा माल्यार्पण के साथ किया गया. संगोष्ठी में सम्मिलित विद्वत जन का स्वागत करते हुए संयोजक प्रो. अजय कुमार ने विषय-प्रेवश कराते हुए काव्य हेतु तथा काव्य प्रयोजन पर विस्तार से प्रकाश डाला. डॉ चन्दन श्रीवास्तव ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘राजनीति शुभ को सच करने का आचार और विचार है।’ मुख्य वक्ता के साथ आये डॉ. प्रशान्त गौरव, राजीव कुमार एवं अशोक कुमार प्रामाणिक के बीच से शोधार्थी अशोक ने एक मधुर गीत गाकर संगोष्ठी को रोचक बना दिया. अगली कड़ी में डॉ विश्वनाथ शर्मा ने भोजपुरी में वक्तव्य व्यक्त करते हुए कहा कि ‘वर्तमान समय में साहित्यकार लोगन के बहुत बड़ जवाबदेही बा.’

संगोष्ठी में वित्त सलाहकार श्री राकेश कुमार मेहता, डीएसडब्ल्यू प्रो उदय शंकर ओझा, पीआरओ प्रो. हरिश्चंद्र, प्राचार्या प्रो मधुप्रभा सिंह, सहायक पीआरओ डॉ दिनेश पाल, आईटी सेल प्रभारी असि. प्रो. धनजंय कुमार आज़ाद, डॉ अमृत प्रजापति, डॉ संतोष कुमार सिंह, डॉ धनंजय चौबे, डॉ वीर बेतीयर साहू, डॉ धर्मेंद्र कुमार सरीखे विश्वविद्यालय के लगभग सभी महाविद्यालयों से शिक्षक, विश्वविद्यालय के पदाधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थियों से सीनेट हॉल भरा रहा.

प्रो. सिद्धार्थ शंकर द्वारा संचालित संगोष्ठी के समाप्ति की घोषणा कुलसचिव रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन श्री कृष्ण द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया.

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