Chhapra: कोविड काल के लंबे अर्से बाद अगर सबकुछ योजना के मुताबिक रहा तो सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को पका पकाया भोजन जनवरी से मिल सकता है. मध्याह्न भोजन के बाद अब एमडीएम योजना पीएमपोषण आहार के नाम से जानी जाएगी. नाम के साथ साथ योजना के संचालन में भी बदलाव हुआ है. जिसको लेकर विभाग तत्परता से लगा हुआ है जिससे कि जनवरी माह से बच्चों को पका पकाया भोजन मिल सकें. लेकिन इस नई प्रक्रिया में संचालन के पूर्व कागजी कारवाई से प्रधानाध्यापकों के पसीने छूट रहे है. कई प्रधानाध्यापक तो इस नई व्यवस्था के संचालन में हाथ खड़े कर रहे है लेकिन विभागीय निर्देशो के अनुरूप थकहार कर उन्हें अंततः काम करना पड़ रहा है.
माध्यम भोजन योजना से पीएमपोषण में स्कूलों में संचालित की जाने वाली योजना में बड़ा बदलाव हुआ है. नई योजना में अब नगद यानी कैश का लेन देन नही हो पायेगा.
पीएमपोषण योजना के संबंध में प्रधानाध्यापकों ने बताया कि इस योजना के संचालन के लिए विभाग ने निर्देश दिया है कि सभी विद्यालयों के द्वारा एक एक वेंडर चयनित किया जाएगा. जो स्कूलों में समानों की आपूर्ति करेंगे. विभाग उन्हें ही राशि खाते में उपलब्ध कराएगा. प्रधानाध्यापक को योजना के संचालन के पश्चात उपयोगिता और अभिश्रव देना होगा जिसके उपरांत वेंडर का पेमेंट होगा. ऐसी में बड़ी समस्या यह आ रही है कि दुकानदार ( वेंडर) बनने में आनाकानी कर रहे है. हालांकि विभाग के निर्देश पर जिले के 20 प्रखंड में सभी स्तर के विद्यालय द्वारा वेंडर बनाने का कार्य प्रगति पर है. जिससे कि अब जनवरी से इस योजना का लाभ छात्रों को मिल सकता है.हालांकि शिक्षकों का कहना है कि एक माह तक वेंडर पीएमपोषण के तहत छात्रों के लिए बनाये जाने वाले दोपहर के भोजन की सामग्री देंगे. जिसके बाद उन्हें विभाग द्वारा राशि उपलब्ध कराई जाएगी.