Chhapra: जयप्रकाश विश्वविद्यालय में एक ओर जहाँ शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पैसे के आभाव में ससमय नहीं मिल रहे है. वही यहाँ कार्यरत कुछ कर्मियों को गलत तरीके से निर्धारित वेतनमान से अधिक वेतन का भुगतान किये जाने का मामला प्रकाश में आया है.
रविवार को शोध विद्यार्थी संगठन (आरएसए) के कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में संगठन ने इस मामले को उजागर करते हुए लोकायुक्त से जांच की मांग की है. संगठन ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए निगरानी से भी जांच कराये जाने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.
शोध विद्यार्थी संगठन के संयोजक विवेक कुमार विजय, कुणाल सिंह, सह संयोजक मनीष कुमार मिंटू, विश्वविद्यालय अध्यक्ष अर्पित राज गोलू, जगदम
महाविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष रणवीर सिंह, पृथ्वी चंद्र विज्ञान महाविद्यालय अध्यक्ष आशीष कुमार, रामजयपाल महाविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष
मनीष कुमार, काउंसिल मेंबर अभिषेक यादव, सोनू राय, पुनम कुमारी, छात्रा प्रमुख निधि, रोहिणी कुमारी, गौतम राय, राजकुमार सिंह, प्रवक्ता भूषण सिंह ने पत्रकारों को बताया कि माननीय उच्च न्यायालय ने न्यायिक आदेश पर बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के लिए सुनिश्चित वृत्ति उन्नयन योजना को लागू कर उसके आधार पर वेतन निर्धारण कर बकाया वेतन का भुगतान करने का आदेश सरकार द्वारा दिया गया था. जिसके आलोक में जेपीयू के कुलपति ने कर्मचारियों के वेतन के निर्धारण के लिए एक उच्च स्तरीय कमिटी बनाई. इस कमिटी में प्राध्यापकों के साथ एक सहायक के रूप में कर्मचारी को भी सदस्य बनाया गया. जबकि नियमानुसार वेतन निर्धारण समिति में कोई कर्मचारी पूर्णतः सदस्य नामित नहीं हो सकता. जिसके द्वारा निर्धारित वेतनमान से अधिक वेतनमान निर्धारित किया गया और सदस्यों ने बिना जांच पड़ताल किये उस पर हस्ताक्षर कर दिए.
उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग के आदेशानुसार 20.12.2000 के बाद नियुक्त कर्मचारी निम्न वर्गीय लिपिक कहे जायेंगे तथा उन्हें 3050-4590 का वेतनमान अनुमान्य है. 1 जनवरी 2006 से पुनरीक्षित वेतनमान के तहत 5200-20200 तथा ग्रेड 1900 का वेतनमान अनुमान्य था लेकिन सुनियोजित तरीके से 20 दिसम्बर 2000 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को 4000-6000 से वेतनमान में वेतन निर्धारित कर उन्हें 1900 के बदले 2400 ग्रेड पे के आधार पर बकाया वेतन का भुगतान किया गया जो की घोर वित्तीय अनियमितता का घोतक है.
इस विषय पर बिहार सरकार ने कुलपति को पत्र भेजकर शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों के वेतन निर्धारण के सत्यापन हेतु अभिलेख भेजने का निर्देश जारी किया गया था. बावजूद इसके अभिलेख नहीं भेजे गए. उन्होंने इस मामले को उजागर करते हुए जांच करा कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.
आरएसए के इस बड़े खुलासे पर विश्वविद्यालय का पक्ष जानने के लिए विश्वविद्यालय पदाधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया. समाचार प्रेषण तक उनसे सम्पर्क नहीं हो सका था.