Chhapra: विदेश मंत्रालय भारत सरकार व जयप्रकाश यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को जेपीयू सीनेट हाल में भारतीय विदेश नीति पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में भारतीय विदेश सेवा के पूर्व राजदूत अचल मल्होत्रा को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था.
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री मल्होत्रा ने भारतीय विदेश नीति केल उद्देश्यों, मूल सिद्धांतो व वर्तमान प्राथमिकताओं पर प्रकाश डालते हुए पंचशील के सिद्धांतों, अनाक्रमण, सीमा की सुरक्षा आंतरिक मामलों में अहस्तक्षेप, शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की चर्चा करते हुए वसुधैव कुटुम्बकम की बात कही. इस दौरान उन्होंने गुट निरपेक्ष की नीति के अनुसरण एवम वैश्विक राजनीति में उसकी उपादेचना की चर्चा की, उन्होंने समावेशी विकास पर जोर देते हुए कहा कि सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखना हमारी विदेश नीति का एक हिस्सा है,
इस मौके पर पूर्व राजदूत ने अपने विभिन्न अनुभवों को साझा करते हुए पारंपरिक एवम गैर पारंपरिक चुनौतियों की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि आज के दौर में साइबर सुरक्षा भेदन एक बड़ी समस्या बन गई है. अतः उन्होंने पड़ोसियो के साथ बेहतर सम्बधों की कामना करते हुए SAARC, ASEAN एवं BIMSTEC के प्रासंगिकताओं पर बल दिया. इस मौके पर उन्होंने क्षत्रिय एकता, फिस्कल व डिजिटल कनेक्टिविटी, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन एवम निः शस्त्रीकरण में हो रहे नए परिवर्तनों की भी वृहद व्याख्या की.
वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत पर चल रहा देश: कुलपति
वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जेपीयू के कुलपति प्रो हरिकेश सिंह ने विदेश नीति में विदेश की जगह सार्वभौम नीति पर चर्चा करने की बात कही. उन्होंने कहा कि भारत पहले से ही शरणार्थियों को वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत पर अपने यहां बसाता रहा है. तिब्बत के लोग इसका जीवंत उदाहरण है. अपने सम्बोधन में कुलपति ने श्री मल्होत्रा कस भाषण को ऐतिहासिक बताया.
जेपी यूनिवर्सिटी के सीनेट हाल में आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न कॉलेजों से प्रमुख शिक्षक शिक्षिकाएँ, छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे. कार्यक्रम की संयोजिका जेपीएम की प्रोफेसर डॉ सोनाली सिंह ने मंच संचालन किया. इस मौके पर उप कुलपति प्रो अशोक कुमार झा, प्रो उमाशंकर, प्रो शंकर शाह समेत कई अन्य प्रोफेसर उपस्थित थे.