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जेएनयू की पहली महिला कुलपति हिंदी और संस्कृत सहित 6 भाषाओं की है ज्ञाता

नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सोमवार को सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय की वीसी प्रो. शांतिश्री धूलिपुडी पंडित को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलपति नियुक्त किया है। वह जेएनयू की पहली महिला कुलपति हैं। वह बहुभाषी होने के साथ-साथ जेएनयू की पूर्व छात्रा भी हैं।

प्रो. शांतिश्री धूलिपुडी पंडित वर्तमान में महाराष्ट्र में सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय के राजनीति और लोक प्रशासन विभाग में राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर हैं। प्रो. शांतिश्री धूलिपुडी पंडित जेएनयू में प्रो. एम जगदीश कुमार का स्थान लेंगी। जगदीश कुमार को पिछले सप्ताह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। वह पिछले साल अपना पांच साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जेएनयू में कार्यवाहक वीसी का प्रभार संभाल रहे थे।

शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार राष्ट्रपति और विश्वविद्यालय के विजिटर राम नाथ कोविन्द ने प्रो. शांतिश्री धूलिपुडी पंडित को जेएनयू के कुलपति के रूप में नियुक्त करने को मंजूरी दे दी है। उनकी नियुक्ति पांच साल की अवधि के लिए है।

जगदीश कुमार ने सोमवार को एक बयान में कहा, “मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय की शांतिश्री धूलिपुडी पंडित को जेएनयू का अगला कुलपति नियुक्त किया गया है। वह जेएनयू की पहली महिला कुलपति हैं। उन्हें मेरी हार्दिक बधाई। मैं उन्हें कार्यभार सौंप रहा हूं। आज उन्हें प्रभार दिया और उनकी नई भूमिका में उनकी सफलता की कामना की।”

प्रो. शांतिश्री धूलिपुडी पंडित का जन्म सेंट पीटर्सबर्ग, रूस में 15 जुलाई 1962 में हुआ था। वह तेलुगु, तमिल, मराठी, हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा की ज्ञाता हैं। उन्होंने 1996 में स्वीडन के उप्साला विश्वविद्यालय से पोस्ट-डॉक्टोरल डिप्लोमा इन पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट स्टडीज किया है। 1986 में जेएनयू से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एमफिल और 1990 में अंतरराष्ट्रीय संबंधों में “भारत में संसद और विदेश नीति – नेहरू वर्ष” पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। उन्होंने अमेरिका की कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से सामाजिक कार्य में डिप्लोमा किया है। इसके अलावा प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास से 1983 में इतिहास और सामाजिक मनोविज्ञान में बीए और 1985 में एमए राजनीति विज्ञान किया है।

प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने 1988 में गोवा विश्वविद्यालय से अपने अकादमिक शिक्षण करियर की शुरुआत की। 1992 में वे पुणे विश्वविद्यालय में वरिष्ठ व्याख्याता के रूप में अध्यापन करने लगीं। अपने करियर में, उन्होंने 29 पीएचडी शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया है।

उन्होंने केंद्र सरकार की युवा मामले और खेल मंत्रालय की सलाहकार समिति सहित कई शैक्षणिक निकायों में प्रशासनिक पदों पर भी काम किया है। वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) की भी सदस्य रही हैं।

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