नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने “आम की टोकरी” कविता को लेकर छिड़े विवाद पर शुक्रवार को स्पष्ट किया कि बच्चों को रुचिपूर्ण ढंग से स्थानीय भाषाओं की शब्दावली से अवगत कराने के उद्देश्य से ये कविताएं शामिल की गई हैं।
एनसीईआरटी ने बयान जारी कर कहा, एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक में दी गई कविताओं के संदर्भ में: एन.सी.एफ-2005 के परिप्रेक्ष्य में स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुँचाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ये कविताएं शामिल की गई हैं ताकि सीखना रुचिपूर्ण हो सके।
बयान के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। इसी पाठ्यचर्या की रूपरेखा के आधार पर भविष्य में पाठ्यपुस्तकों का निर्माण किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि एनसीईआरटी की पहली कक्षा की हिंदी की किताब में “आम की टोकरी” कविता में छह साल की लड़की को आम बेंचते हुए दिखाया गया है। इसमें लड़की के लिए ‘छोकरी’ शब्द का प्रयोग किया है। सोशल मीडिया पर लोग इसे लड़कियों के लिए अपमानजनक भाषा के तौर पर देख रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह कविता बाल मजदूरी को बढ़ावा देती है। वह सभी इस कविता को एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम से हटाने की मांग कर रहे हैं।
असल में यह विवाद गुरुवार को 2009 बैच के छत्तीसगढ़ काडर के आईएएस अधिकारी अवनीश शरन के ट्वीट के बाद शुरु हुआ। शरन ने कविता की प्रति को ट्विटर पर साझा करते हुए इसे सड़क छाप साहित्य की संज्ञा देते हुए पाठ्यक्रम से हटाने की मांग की थी।