Chhapra: विवाहित महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए वट सावित्री व्रत किया। सुबह से ही महिलाओं के द्वारा वट वृक्ष के पास पहुंच पूजन किया गया। शहर से लेकर गांव तक हर जगह महिलाओं के द्वारा व्रत किया गया और वट वृक्ष के पास जाकर पूजन किया गया।
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है।
इस दिन महिलाएँ वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं, जो त्रिमूर्ति – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – का प्रतीक माना जाता है।
व्रत का महत्व:
यह व्रत सावित्री और सत्यवान की कथा पर आधारित है, जिसमें सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों को अपने तप, श्रद्धा और बुद्धिमानी से वापस पाया था। इसलिए इसे सतीत्व, नारी शक्ति और पतिव्रता धर्म का प्रतीक माना जाता है।