सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए वट सावित्री व्रत करतीं हैं। वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को बड़ी मनाई जाती है। इस दीं सुहागन महिलायें वट यानी बड़ (बनयान) के पेड़ की पूजा करतीं हैं।
क्या है मान्यता?
वट सावित्री व्रत को लेकर मान्यता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान को इसी पेड़ के नीचे यमराज से वापस पाया था।
बड़ का पेड़ ना हो तो व्रत और पूजा कैसे करें?
वट सावित्री व्रत इस साल 26 मई 2025, सोमवार को मनाया जाएगा। बड़े शहरों में वटवृक्ष (Banyan Tree) उपलब्ध नहीं हो पाता है। ऐसे में व्रत करने वाली महिलाओं के मन में सवाल उठता है कि बड़ का पेड़ ना हो तो व्रत और पूजन कैसे करें? ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि वट वृक्ष ना हो तो वटवृक्ष की मिट्टी लाकर घर पर पूजा करें। इसे ही पूजा का स्थान मानकर पूरी श्रद्धा और विधि विधान के साथ व्रत करें। साथ ही गमले में वटवृक्ष की टहनी लगाकर पूजन किया जा सकता है। पेड़ का प्रतीक मानकर धागा बांधें और परिक्रमा करें, व्रत कथा सुनें। यदि ना वटवृक्ष, ना मिट्टी और ना ही टहनी उपलब्ध हो, तो आप तुलसी के पौधे के पास बैठकर भी पूजा कर सकती हैं।
व्रत में श्रद्धा और आस्था सबसे जरूरी
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पूजा में स्थान या वस्तुओं से ज्यादा महत्व भावना और निष्ठा का होता है। सावित्री ने सिर्फ अपने संकल्प और भक्ति के बल पर यमराज जैसे देवता को भी झुका दिया था। इसीलिए अगर आप मन से सच्चे और श्रद्धा से पूर्ण होकर व्रत करती हैं, तो वटवृक्ष का न होना व्रत के फल में कमी नहीं लाता।
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426564 / 9545290847