Chhapra: नवरात्रि के अवसर पर देश भर में सार्वजनिक रूप से दुर्गा पूजा का आयोजन किये जाते है लेकिन कोरोना काल मे इसबार सार्वजनिक तौर पर पूजा पंडाल निर्माण और मेला आयोजन पर सरकारी प्रतिबंध है. दुर्गा पूजा को लेकर एक अलग हीं उत्साह रहता है. परंतु इस बार कोरोना ने इसपर भी ग्रहण लगा दिया है.
गृह विभाग की विशेष शाखा ने कोरोना को लेकर एक एडवाइजरी जारी की गयी है जिसमे यह कहा गया है कि सार्वजनिक रूप से पूजा पंडालों का निर्माण नहीं किया जाएगा. सरकार के इस फैसले से दुर्गापूजा आयोजकों में भारी रोष है.
मंगलवार को शहर के सभी पूजा समितियों ने एक सामूहिक बैठक आयोजित की गई. बैठक की अध्यक्षता सियाराम सिंह (अनुज्ञप्तिधारी) ने की.
बैठक में सभी ने एक स्वर में सरकार के इस फैसले को गलत ठहराते हुए रोष जताया और कहा कि सरकार खुद यह दावा कर रही है कि राज्य में कोरोना से रिकवरी का दर 94% से भी अधिक है. इसी आधार पर राज्य में एक साथ विधानसभा और विधान परिषद् दोनो के चुनाव हो रहे हैं. चुनावी सभाओं का आयोजन किया जा रहा है.
सियाराम सिंह ने कहा कि महीने दिन तक चलने वाली इस प्रक्रिया में जब किसी को कोरोना नहीं होगा तो यदि इसी दौरान अगर 9 दिनों के दुर्गापूजा का आयोजन होता है तो कौन सी आफत आ जाएगी ? सरकार यह दोहरा रवैया क्यों अपना रही है?
उनका कहना है कि चुनावी प्रक्रिया को लेकर जो गाइडलाइंस जारी की गई है, उसकी सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है. सैकड़ों-हजारों की संख्या में नेताओं के समर्थक जिला प्रशासन के सामने खड़े रह रहे हैं बिना मास्क के और बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किये. फिर भी किसी को कोरोना का खतरा नहीं दिख रहा और दुर्गा पूजा के आयोजन पर कोरोना का खतरा हो जाएगा ? आखिर यह किस प्रकार की दोहरी मानसिकता है?
पूजा समिति के सदस्यों ने बैठक में यह निर्णय लिया है कि बुधवार को दुर्गा पूजा आयोजकों का एक प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी से मुलाकात करेगा और अपनी मांगों को रखेगा और यदि वहां से कोई सकारात्मक पहल नहीं होती तो न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया जाएगा.