कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर उमानाथ मंदिर में देव दीपावली का हुआ आयोजन

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर उमानाथ मंदिर में देव दीपावली का हुआ आयोजन

Chhapra: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर उमानाथ मंदिर दधिची आश्रम में देव दीपावली का आयोजन हुआ. जहाँ सैकड़ों की संख्या में श्रद्दालुओं ने दीप प्रज्वल्लित किया. 

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पन्द्रहवीं तिथि कार्तिक पूर्णिमा कही जाती है. इस दिन यदि कृत्तिका नक्षत्र हो तो यह ‘महाकार्तिकी’ होती है. भरणी नक्षत्र होने पर विशेष रूप से फलदायी होती है और रोहिणी नक्षण होने पर इसका महत्व बहुत ही अधिक बढ़ जाता है. विष्णु भक्तों के लिए यह दिन इसलिए अहम है क्योंकि इस दिन संध्याकाल में भगवान विष्णु का प्रथम अवतार मत्स्यावतार हुआ था.

साल की सबसे काली और लंबी अमावस्या की रात कार्तिक महीने की अमावस्या यानी दीपावली के दिन मनाई जाती है और इसके 15 दिन बाद कार्तिक मास की पूर्णिमा पड़ती है. ऐसी मान्यता है कि यह संसार में फैले अंधेरे का सर्वनाश करती है.

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन ईश्वर की आराधना करने से मनुष्य के अंदर छिपी सभी तामसिक प्रवृत्तियों का नाश होता है. इस दिन भजन, भगवत स्मरण और गंगा स्नान को शुभ फलों को देनेवाला बताया गया है. इस तिथि को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि का दिन भी माना जाता है. इस दिन किए जाने वाले स्नान, दान, हवन, यज्ञ व उपासना का अनंत फल होता है पुराणों में उल्लेख है कि कार्तिक पूर्णिमा को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे चारों पुरुषार्थों को देने वाला दिन माना गया है और स्वयं विष्णु ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के दिन सर्वगुण सम्पन्न महात्म्य के रूप में बताया है.

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के दिन से शुरू करके प्रत्येक पूर्णिमा को व्रत और जागरण करने से सभी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं. इस दिन श्रद्धालु स्नान, दान, हवन, यज्ञ और उपासना करते हैं ताकि उन्हें मनचाहे फल की प्राप्ति हो. इस दिन गंगास्नान और शाम के समय दीपदान करना भी बहुत शुभ माना गया है. इस दिन गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है. शास्त्रों के मुताबिक भरणी नक्षत्र में गंगा स्नान व पूजन करने से सभी तरह के ऐश्वर्य और सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है.

कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान दान का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा स्नान कर लोग पूजा करते हैं. कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान का वैज्ञानिक महत्व है. इस दिन चंद्रमा की रोशनी का सबसे अधिक आकर्षण पानी में होता है. शरीर का अधिकतम भाग में पानी होता है. जब गंगा में स्नान करते हैं, तो चंद्रमा के किरणों का प्रवेश शरीर के समस्त अंगों में पड़ता है. इससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है. इस दौरान जल में खड़े होकर स्नान करने से वैज्ञानिक दृष्टि से शरीर के लिए लाभदायक है.

कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन त्रिपुरा असुर का संहार भगवान शिव व विष्णु ने किया था. साथ ही मीन अवतार हुआ था. इसे पांच दिनों तक मनाया जाता है. एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक लोग पूजा पाठ कर इसे मनाते हैं. इसे पंचम व्रत कहा जाता है. इसमें पंचगव्य ग्रहण किया जाता है. इसके साथ ही कार्तिक पूर्णिमा पर सत्य नारायण स्वामी की पूजा का भी विधान है. गंगा घाटों, घरों व मंदिरों में लोग पूजा-पाठ करते हैं. इसे देव दीपावली के रुप में मनाया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व है. इस दिन जो भी दान किया जाता है उसका कई गुना पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन अन्ना, धन व वस्त्र दान का विशेष महत्व है. मान्यता तो यह भी है कि इस दिन व्यक्ति जो भी दान करता है वह मृत्युपरांत स्वर्ग में उसे पुन: प्राप्त होता है.

0Shares
A valid URL was not provided.

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें