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जन्माष्टमी 2023 पर बन रहा है अद्भुत संयोग, जानिए

पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष अष्टमीतिथि तथा रोहिणी नक्षत्र में यह उत्सव मनाया जाता है। जन्माष्टमी का त्योहार अधर्म को समाप्त करने के लिए तथा धर्म की रक्षा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ इसलिए इस दिन भगवान के जन्मोत्सव मनाया जाता है।

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण मथुरा नगरी में कंश के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन कृष्ण जन्म उत्सव के उपलक्ष्य में सभी घर में पूजन किया जाता है तथा मंदिर में जगह -जगह कीर्तन तथा झाकिया सजाई जाती है। इस दिन महिला तथा पुरुष रात्रि के बारह बजे तक व्रत रहकर भगवान के जन्म के उपरांत उनका पूजन करते है।

हर साल जन्मष्टमी दो दिन मनाया जाता है। पहला दिन गृहस्थ जीवन वाले जन्माष्टमी मानते है। दूसरे दिन वैष्णव संप्रदाय वाले जन्माष्टमी मानते है। इस साल भगवान श्री कृष्ण का 5250 वा जन्मदिवस यानि जन्माष्टमी त्योहार के रूप में मनाया जायेगा। 

कब मनाया जायेगा जन्माष्टमी क्या है शुभ मुहूर्त 
06 सितम्बर 2023 दिन बुधवार की रात्रि में भगवान कृष्ण की जन्मोत्सव मनाया जायेगा इस दिन गृहस्थ जीवन वाले के लिए रहेगा वही 07 सितम्बर 2023 को वैष्णव संप्रदाय वाले जन्माष्टमी मनायेगे। 

इस दिन बन रहा है अद्भुत शुभ संयोग
इस साल जन्माष्टमी के दिन बन रहा है शुभ संयोग इस तरह के संयोग में भगवान का उत्सव मनाने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाते है। परिवार में प्रेम -सौहार्द बना रहता है। पहला संयोग भाद्रपद मास दूसरा कृष्णपक्ष, सर्वार्थ सिद्ध योग, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, दिन बुधवार, सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो 06 सितम्बर 23 को सुबह 05:32 से लेकर, अगले दिन 07 सितम्बर 23 को सुबह 05:32 मिनट तक रहेगा। 

अष्टमी तिथि का प्रारंभ 06 सितम्बर 23 को 03:37 दोपहर से प्रारंभ होगा.
अष्टमी तिथि का समाप्त 07 सितम्बर 23 को 04:14 संध्या तक रहेगा.

रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 06 सितम्बर 23 को सुबह 09 :20 से लेकर अगले दिन 07 सितम्बर 23 को सुबह 10:25 तक मिल रहा है दिन बुधवार जो गणेश जी का दिन है बहुत ही शुभ है।

पूरी होगी सभी मनोकामना

धार्मिक मान्यताओ के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पृथ्वी लोक पर बढ़ रहे अत्याचारों को खत्म करने तथा धर्म की रक्षा करने के लिए विष्णु भगवान ने अपना आठवा अवतार
भगवान कृष्ण के रूप में लिए थे इसलिए इस दिन पूजन करने से संतान की प्राप्ति ,प्रेम सम्बन्ध मजबूत होगा ,परिवार में सुख भरपूर मिलेगा,इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को माखन या मेवा से भोग लगाये आपके सभी मनोकामना पूर्ण होंगे .

जन्माष्टमी पूजा -विधि

इस दिन सुबह उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर नया या साफ कपडे धारण करे साथ ही भगवान कृष्ण की प्रतिमा को स्नान कराये ,इसके बाद प्रतिमा पर शहद ,माखन ,दूध ,केशर या
पंचामृत से स्नान कराये , भगवान कृष्ण को पलना में बैठाये ,उनपर फूल ,फूलमाला ,तुलसी पता चंदन ,गंगाजल हल्दी ,कुमकुम आदि को समर्पित करे मोर का पंख बासुरी ,मुकुट , चंदन तथा तुलसी के माला चढ़ाये,धुप -दीप तथा अगरबती दिखाए इसके बाद भगवान को मिश्री का भोग ,मिठाई ,मेवा ऋतुफल का भोग लगाये,इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को श्रधा के साथ
पूजन करे रात्रि में जागरण करे .

जाने भगवान श्री कृष्ण के अलग -अलग नाम ।

भगवान श्री कृष्ण के बाल अवस्था में बड़े प्यार से लोग अलग -अलग नाम से बुलाते थे इन्हे कोई कान्हा, श्रीकृष्ण, गोपाल, श्याम, गोविन्द, मुरारी, मुरलीधर, गोपी, मुकुंद, घनश्याम, बालगोपाल, मधुसुधन, जनार्धन, जगरनाथ आदि के नाम से लोग जानते है तथा पूजन करते है.

भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र क्या है

ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात।

महामंत्र के जाप करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।

कथा
द्वापर युग में कंस ने अपने पिता उग्रसेन राजा की राज गद्दी छीन कर, उन्हें सिंहासन से उतार दिया था और जेल में बंद कर दिया था। इसके बाद कंस ने गुमान में खुद को मथुरा का राजा घोषित किया था। कंस की एक बहन भी थी। जिनका नाम देवकी था। देवकी की शादी विधि-विधान के साथ वासुदेव की गई थी और कंस ने धूम-धाम से देवकी का विवाह कराया लेकिन कथा अनुसार जब कंस देवकी को विदा कर रहा था, तब आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा। यह आकाशवाणी सुनकर कंस की रुह कांप गई और वह घबरा गया। 

ऐसी आकाशवाणी सुनने के बाद कंस ने अपनी बहन देवकी की हत्या करने का मन बना लिए लेकिन वासुदेव ने कंस को समझाया कि ऐसा करने का कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि कंस को देवकी से नहीं, बल्कि उसकी आठंवी संतान से भय है.

जिसके बाद वासुदेव ने कंस से कहा कि जब उनकी आठवीं संतान होगी तो वह उसे कंस को सौंप देंगे. ये सुनने के बाद कंस ने वासुदेव और देवकी को जेल में कैद कर लिया.इसके बाद क्रूर कंस ने देवकी और वासुदेव की 7 संतानों को मार दिया. जब देवकी की आठवीं संतान का जन्म होने वाला था, तब आसमान में घने और काले बादल छाए हुए थे और बहुत तेज बारिश हो रही थी. इसके साथ ही आसमान में बिजली भी कड़क रही थी.

मान्यता के मुताबिक मध्यरात्रि 12 बजे जेल के सारे ताले खुद ही टूट गए और वहां की निगरानी कर रहे सभी सैनिकों को गहरी नींद आ गई और वो सब सो गए. कहा जाता है कि उस समय भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्हें वासुदेव-देवकी को बताया कि वह देवकी के कोख से जन्म लेंगे.

इसके बाद उन्होंने कहा कि वह उन्हें यानी उनके अवतार को गोकुल में नंद बाबा के पास छोड़ आएं और उनके घर जन्मी कन्या को मथुरा ला कर कंस को सौंप दें. इसके बाद वासुदेव ने भगवान के कहे अनुसार किया. वह कान्हा को नंद बाबा के पास छोड़ आए और गोकुल से लाई कन्या को कंस को सौंप दिया.

क्रोधित कंस ने जैसे ही कन्या को मारने के लिए अपना हाथ उठाया तो अचानक कन्या गायब हो गई. जिसके बाद एक आकाशवाणी हुई कि कंस जिस शिशु को मारना चाहता है वो गोकुल में है. यह आकाशवाणी सुनकर कंस डर गया को अपने भांजे कृष्ण को मारने के लिए उसने राक्षसों को गोकुल भेज कर कान्हा का असतित्व मिटाने की कोशिश की लेकिन श्रीकृष्ण ने सभी राक्षसों का एक-एक कर वध कर दिया और आखिर में भगवान विष्णु के अवतार ने कंस का भी वध कर दिया.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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