Chhapra: सदर अस्पताल में शुक्रवार को (वीपीडी) वैक्सीन प्रीवेंटबल डिजिज विषयक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने किया। प्रतिरक्षण कार्यालय व विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की ओर से कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला में टीकों से बचाव वाली बीमारी जैसे पोलियो डिप्थीरिया (गलघोटू) परट्यूसिस (काली खांसी) नियोनेटेल टिटनेस (नवजात टिटनेस) के सर्विलेंस के बारे में बताया गया। इसमें एएफपी, मिजिल्स, डीप्थीरिया, काली खांसी व नवजात टेटनस जैसे गंभीर बीमारियों के बेहतर ईलाज की जानकारी दी गयी। कार्यशाला में सिविल सर्जन ने चिकित्सकों इन जानलेवा बीमारियों के लक्षण, जांच के तौर तरीके व लैब सेंपल की जानकारी दी। एसएमओ (डब्लूएचओ) डा. रंजितेश कुमार ने बताया कि अगर 15 साल तक के बच्चे का कोई अंग छह माह तक लुंज या कमजोर दिखे तो ये एएफपी के लक्षण हैं।
लक्षण की पचहान कर बेहतर इलाज प्रबंध करें
एसएमओ डॉ रंजितेश कुमार ने बताया कि बुखार, गले में दर्द, टांसील लाल व उसके आसपास व्हाईट व डार्क ग्रे थक्का और झिल्ली आदि गलघोटु और कम से कम दो सप्ताह से खांसी, खांसने के बाद उल्टी होना आदि काली खॉसी के लक्षण हैं। इसी तरह नवजात टेटनस के लक्षण व बचाव के बारे में बताये। उन्होने कहा कि इन गंभीर बीमारियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इन बीमारियों के लक्षण के बारे में विस्तृत जानकारी दी। साथ ही मरीज में कैसे इन बीमारियों के लक्षण को तलाशेंगे और इसके क्या उपाय होंगे। इसपर विस्तार पूर्वक चर्चा की गयी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एसएमओ डॉ. रंजितेष कुमार ने कार्यशाला में प्रोजेक्टर के माध्यम से विस्तार पूर्वक जानकारी दी।
कम्युनिटी को भी जागरूक करें
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार शर्मा ने कहा कि कम्युनिटी को भी जागरूक करें कि कम से कम हर बच्चों को वैक्सीन जरूर दिलायें, क्योंकि वैक्सीन उपलब्ध रहने के बाद भी जानकारी के अभाव में जान चली जाती है। ऐसे मरीज दिखे तो तुरंत डब्लूएचओ व डीआईओ को जानकारी दें। इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ माधवेश्वर झा, डीआईओ डॉ अजय कुमार शर्मा, एसएमओ डॉ रंजितेश कुमार, डीपीएम अरविंद कुमार, डीएमई भानु शर्मा, आईडीएसपी से डॉ रिया, यूनीसेफ एसएमसी आरती त्रिपाठी समेत सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, स्वास्थ्य प्रबन्धक व मेडिकल ऑफिसर मौजूद थे।